165 वर्ष बाद आ रहा महायोग IMAGE CREDIT: patrika पैदल ही जाना होता है मंदिर तक असल में इस मंदिर के करीब ही जामण नदी कलकल करके बहती है। नदी पर स्टापर बनाया गया है। इस स्टापर के रास्ते ही पहाड़ी पर जाने के बाद ही गुफेश्वर महादेव मंदिर पर जाने को मिलता है। इस स्टापर के चलते आगे के रास्ते पर वाहन नहीं जा पाते है। इस पहाड़ी में ही एक बड़ी चट्टान के बीच बड़ी गुफा है। इस गुफा के रास्ते से ही मंदिर में अंदर जाने को मिलता है। मंदिर के पुजारी के अनुसार के अनुसार मंदिर के करीब जो कुआं है वो गर्मी में भी पूरा भरा रहता है व इसके अंदर से उज्जैन में जाने का मार्ग है। नदी पर स्टॉपर बनाया गया है इस स्टॉपर से होकर पहाड़ी पर गुफेश्वर महादेव जाने को मिलता है।
रेलवे बंद करेगा 165 साल पूर्व की सुविधा IMAGE CREDIT: patrika इनकी है मंदिर में प्रतिमा इस गुफा में प्राचीन नागदेवता व भगवान गणेश की भी प्रतिमा है। यहां के पुजारी भगत गवरा जी बताते है कि वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी वह यहां सेवा करते आ रहे है। यह गुफा वर्षो पहले उनके पुरखों करीब 400 वर्ष पूर्व देखी तब से यही शिवसेवा में लग गए थे। पुजारी भगत गवरा जी द्वारा बताया गया कि बारिश के दिनों में नदी में पानी आने से कई कई दिनों तक शहर आना जाना नही होता है। पहले बारिश के बाद नदी में पानी उत्तर जाता था तो वाहन ऊपर गुफा तक आ जाते थे, लेकिन स्टॉपर बन जाने के बाद अब यहां लोगो का आना जाना कम हो गया है।