उन्होंने बताया कि गवाहों की गवाही पहले ही दर्ज की जा चुकी है और बचाव पक्ष की ओर से गवाह को दोबारा गवाही के लिए बुलाने की याचिका को अदालत ने नौ सितंबर को खारिज कर दिया था। इसके परिणामस्वरूप बचाव पक्ष पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया।
अमरनाथ तिवारी ने बताया कि इसके बाद बचाव पक्ष ने जुर्माना राशि की व्यवस्था करने के लिए अतिरिक्त समय का अनुरोध करते हुए एक याचिका दाखिल की, जिसमें धनराशि की व्यवस्था तुरंत करने में कठिनाइयों का हवाला दिया गया। अभियोजन पक्ष के वकील के अनुसार अदालत ने इस मामले के लिए आगामी 18 सितंबर की तारीख तय की है।