फैक्ट फाइल
– 2.82 किमी. चौड़ाई और 6.4 किमी लम्बाई
– 30 फीट पूर्ण गेज और 3786 एमसीएफटी भराव क्षमता
– 45 राजसमंद के गांव में 10,144 हेक्टेयर में होती सिंचाई
– 07 नाथद्वारा के गाांव की 467 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 700 एमसीएफटी पीएचईडी के लिए रखा जाता है रिजर्व
– 15 से 16 लाख लीटर पानी प्रतिदिन शहर में होता सप्लाई
पांच दशक से अधिक पुरानी नहरें और सलूस
जानकारों के अनुसार झील से दो नहरें निकल रही है। इसमें जलचक्की के निकट बनी नहर स्टेट टाइम की बताई जा रही है। इससे कुछ गांवों में ही पानी पहुंचता है। इरिगेशन पाल से निकलने वाली बायीं नहर और सलूस का 1966-67 में निर्माण हुआ था। ऐसे में पांच दशक से अधिक होने के कारण अब इन्हें बदले जाने की दरकार है। इस बार सलूस को खोलने में दो-तीन लग गए थे। इससे निकली नहर में लीकेज हो गए हैं। ऐसे में अब झील से पानी निकासी के लिए बने सलूस और नहरों की मरम्मत की दरकार है।
पांच साल पहले भेजा 8 करोड़ का प्रस्ताव
इरिगेशन पाल पर संचालित सिंचाई विभाग कार्यालय अंग्रेजों के समय बनी बिल्ंिडग में संचालित हो रहा है। स्थिति यह है कि 2017-18 में हुई। तेज बारिश के कारण स्थिति खराब हो गई। अभी तक कई कमरें बंद पड़े हैं। वर्तमान में संचालित कमरों की स्थिति बेहद खराब है। सिंचाई विभाग की ओर से रिहेबिटेशन एण्ड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (डैम) के तहत 2018-19 में 8 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। इसमें पाल को दुरुस्त करने, उद्यान विकास, सौन्दर्यीकरण, चारों और बने ओवरफ्लो गेट के स्ट्रेथिंग वर्क और ऑफिस बिल्ंिडग आदि के प्रस्ताव शामिल है, लेकिन आज तक इसका कुछ नहीं हुआ।
– 2.82 किमी. चौड़ाई और 6.4 किमी लम्बाई
– 30 फीट पूर्ण गेज और 3786 एमसीएफटी भराव क्षमता
– 45 राजसमंद के गांव में 10,144 हेक्टेयर में होती सिंचाई
– 07 नाथद्वारा के गाांव की 467 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 700 एमसीएफटी पीएचईडी के लिए रखा जाता है रिजर्व
– 15 से 16 लाख लीटर पानी प्रतिदिन शहर में होता सप्लाई
पांच दशक से अधिक पुरानी नहरें और सलूस
जानकारों के अनुसार झील से दो नहरें निकल रही है। इसमें जलचक्की के निकट बनी नहर स्टेट टाइम की बताई जा रही है। इससे कुछ गांवों में ही पानी पहुंचता है। इरिगेशन पाल से निकलने वाली बायीं नहर और सलूस का 1966-67 में निर्माण हुआ था। ऐसे में पांच दशक से अधिक होने के कारण अब इन्हें बदले जाने की दरकार है। इस बार सलूस को खोलने में दो-तीन लग गए थे। इससे निकली नहर में लीकेज हो गए हैं। ऐसे में अब झील से पानी निकासी के लिए बने सलूस और नहरों की मरम्मत की दरकार है।
पांच साल पहले भेजा 8 करोड़ का प्रस्ताव
इरिगेशन पाल पर संचालित सिंचाई विभाग कार्यालय अंग्रेजों के समय बनी बिल्ंिडग में संचालित हो रहा है। स्थिति यह है कि 2017-18 में हुई। तेज बारिश के कारण स्थिति खराब हो गई। अभी तक कई कमरें बंद पड़े हैं। वर्तमान में संचालित कमरों की स्थिति बेहद खराब है। सिंचाई विभाग की ओर से रिहेबिटेशन एण्ड इंप्रूवमेंट प्रोजेक्ट (डैम) के तहत 2018-19 में 8 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था। इसमें पाल को दुरुस्त करने, उद्यान विकास, सौन्दर्यीकरण, चारों और बने ओवरफ्लो गेट के स्ट्रेथिंग वर्क और ऑफिस बिल्ंिडग आदि के प्रस्ताव शामिल है, लेकिन आज तक इसका कुछ नहीं हुआ।
खारी फीडर को चौड़ा करना भी आवश्यक
नंदसमंद के ओवरफ्लो होने के बाद खारी फीडर के माध्यम से पानी राजसमंद झील में पहुंचता है। ऐसे में खारी फीडर को चौड़ा करना बहुत आवश्यक है। इससे झील में पानी की अच्छी आवक हो सकेगी। राज्य सरकार के बजट में 80 करोड़ रुपए इसके लिए स्वीकृत भी किए गए। इसके लिए वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी कर दी गई, लेकिन टेण्डर नहीं होने के कारण वह कार्य भी ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि सिंचाई विभाग ने आचार संहिता से पहले टेण्डर आमंत्रित कर लिए गए हैं, आचार संहिता के बाद प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा।
पाल की हालत खस्ता, चूहों ने बनाए बिल
राजसमंद झील पर पाल बनी हुई है। रख-रखाव के अभाव में पाल की स्थिति भी खराब हो गई है। झील की दीवार पर पेड़-पौधे उग गए हैं। पाल की सीढिय़ा भी क्षतिग्रस्त हो गई है। चूहों ने भी पाल में जगह-जगह बिल बना लिए हैं। पाल पर रैलिंग भी जगह-जगह से टूट गई है। उद्यान में लगी ओपन जिम और अन्य झूले-चकरी तक टूटे हुए हैं।
40 करोड़ की हुई थी घोषणा
जिले में जलसंसाधन विभाग के मंत्री के आगमन पर झील मरम्मत के लिए 40 करोड़ की घोषणा की थी। इसके लिए सिंचाई विभाग ने आनन-फानन में नहरों की मरम्मत और पाल मरम्मत सहित कई प्रस्ताव बनाकर भेजे थे, लेकिन यह घोषणा भी अमली जामा नहीं पहन सकी। विभाग ने आचार संहिता से पहले फिर से प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं।
मुख्यालय बनाकर भेज चुके हैं प्रस्ताव
राजसमंद झील की नहरों की मरम्मत, सलूस की मरम्मत आदि के प्रस्ताव बनाकर पहले भी मुख्यालय भेज हुए हैं। अब चुनाव के बाद फिर से इसके लिए फिर से प्रयास किए जाएंगे।
– प्रतीक चौधरी, एक्सईएन सिंचाई विभाग राजसमंद
नंदसमंद के ओवरफ्लो होने के बाद खारी फीडर के माध्यम से पानी राजसमंद झील में पहुंचता है। ऐसे में खारी फीडर को चौड़ा करना बहुत आवश्यक है। इससे झील में पानी की अच्छी आवक हो सकेगी। राज्य सरकार के बजट में 80 करोड़ रुपए इसके लिए स्वीकृत भी किए गए। इसके लिए वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी कर दी गई, लेकिन टेण्डर नहीं होने के कारण वह कार्य भी ठंडे बस्ते में चला गया। हालांकि सिंचाई विभाग ने आचार संहिता से पहले टेण्डर आमंत्रित कर लिए गए हैं, आचार संहिता के बाद प्रक्रिया को बढ़ाया जाएगा।
पाल की हालत खस्ता, चूहों ने बनाए बिल
राजसमंद झील पर पाल बनी हुई है। रख-रखाव के अभाव में पाल की स्थिति भी खराब हो गई है। झील की दीवार पर पेड़-पौधे उग गए हैं। पाल की सीढिय़ा भी क्षतिग्रस्त हो गई है। चूहों ने भी पाल में जगह-जगह बिल बना लिए हैं। पाल पर रैलिंग भी जगह-जगह से टूट गई है। उद्यान में लगी ओपन जिम और अन्य झूले-चकरी तक टूटे हुए हैं।
40 करोड़ की हुई थी घोषणा
जिले में जलसंसाधन विभाग के मंत्री के आगमन पर झील मरम्मत के लिए 40 करोड़ की घोषणा की थी। इसके लिए सिंचाई विभाग ने आनन-फानन में नहरों की मरम्मत और पाल मरम्मत सहित कई प्रस्ताव बनाकर भेजे थे, लेकिन यह घोषणा भी अमली जामा नहीं पहन सकी। विभाग ने आचार संहिता से पहले फिर से प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं।
मुख्यालय बनाकर भेज चुके हैं प्रस्ताव
राजसमंद झील की नहरों की मरम्मत, सलूस की मरम्मत आदि के प्रस्ताव बनाकर पहले भी मुख्यालय भेज हुए हैं। अब चुनाव के बाद फिर से इसके लिए फिर से प्रयास किए जाएंगे।
– प्रतीक चौधरी, एक्सईएन सिंचाई विभाग राजसमंद