छह साल लगे थे खारी फीडर के निर्माण पर
जानकारों के अनुसार नंदसमंद को राजसमंद से जोडऩे के लिए खारी फीडर बनाया था। 1962 में नंदसमंद से राजसमंद झील तक निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया। इसके निर्माण में छह साल लगने के कारण यह 1968 में बनकर तैयार हुआ। नंदसमंद बांध 1990 में ओवरफ्लो हुआ था। 1990 से 1997 तक लगातार ओवरफ्लो हुआ। इसे चूने-पत्थर से बनाया गया। वर्तमान में भी झील में इससे पानी की आवक हो रही है।
केस 1
निकटवर्ती ग्राम मुंडोल में से खारी फीडर गुजर रहा है। यहां पर खारी फीडर की करीब 4 से 5 फीट दीवार क्षतिग्रस्त हो गई है। यहां पर बजरी के कटट् रखकर काम चलाया जा रहा है। इसके कारण आस-पास के क्षेत्रों में पानी भर गया है। इसके कारण फसल भी नहीं हो पा रही है।
केस 2
डिप्टी गांव में भूमिगत जलस्तर इतना बढ़ गया है कि जमीन में से पानी निकल रहा है। हैंडपंपों को बिना चलाए ही पानी बह रहा है। गांव में बनें मकानों की नींव से अनवरत पानी बह रहा है। सीलन के कारण घरों की हालत खराब है। यहां से निकला पानी गांव में बहकर खेतों में एकत्र हो रहा है।
केस 3
कूकड़ा खुर्द में भी खारी फीडर में रिसाव के कारण स्थिति खराब है। खेतों में पानी भरने के कारण फसलें खराब हो गई है। किसानों ने फसलों को बचाने के लिए पानी निकालने के लिए कच्ची नहर बना दी है। इससे पानी निकलता रहता है और खेतों में फसलों को कोई नुकसान भी नहीं होती है।
केस 4
डिप्टी खेड़ा गांव से गुजर रहे खारी फीडर के एक ओर रोड बना हुआ है। उसके दूसरी ओर से खारी फीडर गुजर रहा है। खारी फीडर में रिसाव के चलते कई जगह पानी भर गया है। कई बीघा में पानी भरा होने के कारण फसलें खराब हो गई है। नहर के पास दूसरी और पानी भरा होने के कारण नहर जैसी दिखाई देती है।
केस 5
सुंदरचा गांव में से भी खारी फीडर गुजर रहा है। यहां पर खारी फीडर ऊंचाई पर होने और राजीव गांधी केन्द्र नीचे बना होने के कारण मैदान में पानी भर गया है। पास ही राजकीय स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। मैदान में पानी भरा रहने के कारण मच्छर और मक्खी की भरमार हो गए हैं।
जानकारों के अनुसार नंदसमंद को राजसमंद से जोडऩे के लिए खारी फीडर बनाया था। 1962 में नंदसमंद से राजसमंद झील तक निर्माण के लिए शिलान्यास किया गया। इसके निर्माण में छह साल लगने के कारण यह 1968 में बनकर तैयार हुआ। नंदसमंद बांध 1990 में ओवरफ्लो हुआ था। 1990 से 1997 तक लगातार ओवरफ्लो हुआ। इसे चूने-पत्थर से बनाया गया। वर्तमान में भी झील में इससे पानी की आवक हो रही है।
केस 1
निकटवर्ती ग्राम मुंडोल में से खारी फीडर गुजर रहा है। यहां पर खारी फीडर की करीब 4 से 5 फीट दीवार क्षतिग्रस्त हो गई है। यहां पर बजरी के कटट् रखकर काम चलाया जा रहा है। इसके कारण आस-पास के क्षेत्रों में पानी भर गया है। इसके कारण फसल भी नहीं हो पा रही है।
केस 2
डिप्टी गांव में भूमिगत जलस्तर इतना बढ़ गया है कि जमीन में से पानी निकल रहा है। हैंडपंपों को बिना चलाए ही पानी बह रहा है। गांव में बनें मकानों की नींव से अनवरत पानी बह रहा है। सीलन के कारण घरों की हालत खराब है। यहां से निकला पानी गांव में बहकर खेतों में एकत्र हो रहा है।
केस 3
कूकड़ा खुर्द में भी खारी फीडर में रिसाव के कारण स्थिति खराब है। खेतों में पानी भरने के कारण फसलें खराब हो गई है। किसानों ने फसलों को बचाने के लिए पानी निकालने के लिए कच्ची नहर बना दी है। इससे पानी निकलता रहता है और खेतों में फसलों को कोई नुकसान भी नहीं होती है।
केस 4
डिप्टी खेड़ा गांव से गुजर रहे खारी फीडर के एक ओर रोड बना हुआ है। उसके दूसरी ओर से खारी फीडर गुजर रहा है। खारी फीडर में रिसाव के चलते कई जगह पानी भर गया है। कई बीघा में पानी भरा होने के कारण फसलें खराब हो गई है। नहर के पास दूसरी और पानी भरा होने के कारण नहर जैसी दिखाई देती है।
केस 5
सुंदरचा गांव में से भी खारी फीडर गुजर रहा है। यहां पर खारी फीडर ऊंचाई पर होने और राजीव गांधी केन्द्र नीचे बना होने के कारण मैदान में पानी भर गया है। पास ही राजकीय स्कूल और आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित है। मैदान में पानी भरा रहने के कारण मच्छर और मक्खी की भरमार हो गए हैं।
खेतों में भर गया पानी होती है परेशानी
खारी फीडर में रिसाव के चलते कई जगह खेतों में पानी भर गया है। इसके कारण फसलों को भी नुकसान हो रहा है। पानी के कारण फसलें गल गई है तो कहीं पर खेतों में पानी जमा हो गया है। इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है।
– प्रकाश पालीवाल, ग्रामीण
रिसाव के कारण पानी भरा, परेशानी बढ़ी
खारी फीडर काफी पुराना होने के कारण इसमें रिसाव के चलते इसके आस-पास के खेतों में पानी लबालब हो गया है। इससे फसलों के नुकसान के साथ आवाजाही में भी परेशानी होती है। जल्द से जल्द खारी फीडर का नव निर्माण करवाया जाना चाहिए।
– बालकृष्ण गुर्जर, ग्रामीण
फैक्ट फाइल
– 32.5 किलोमीटर नंदसमंद से राजसमंद की दूरी
– 4 मीटर चौड़ाई और 1.80 मीटर फीडर की गहराई
– 400 क्यूसेक पानी की वर्तमान में झील में है आवक
यहां होती है सिंचाई
– 45 राजसमंद के गांव में 10144 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 07 नाथद्वारा के गांव की 467 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 700 एमसीएफटी पीएचईडी के लिए रखा जाता है रिजर्व
भू-जल स्तर बढऩे के कारण निकल रहा पानी
खारी फीडर से जितना पानी निकल रहा है उतना ही झील में पहुंच रहा है। कई माह तक एक ही लाइन पर पानी चलने के कारण आस-पास के क्षेत्रों का भू-जल स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा भी खेत आदि लो लाइन पर होने के कारण भी पानी भरने का कारण माना जा सकता है। बजट घोषणा के अनुसार सिंचाई विभाग ने खारी फीडर को चौड़ा करवाने के लिए 79.94 करोड़ की डीपीआर तैयार आदि करवाकर स्वीकृति के लिए भिजवा दी है। सरकार से स्वीकृति मिलने पर टेण्डर आदि आमंत्रित किए जाएंगे।
– अरूण शर्मा, एक्सईएन सिंचाई विभाग राजसमंद
खारी फीडर में रिसाव के चलते कई जगह खेतों में पानी भर गया है। इसके कारण फसलों को भी नुकसान हो रहा है। पानी के कारण फसलें गल गई है तो कहीं पर खेतों में पानी जमा हो गया है। इससे परेशानी का सामना करना पड़ता है।
– प्रकाश पालीवाल, ग्रामीण
रिसाव के कारण पानी भरा, परेशानी बढ़ी
खारी फीडर काफी पुराना होने के कारण इसमें रिसाव के चलते इसके आस-पास के खेतों में पानी लबालब हो गया है। इससे फसलों के नुकसान के साथ आवाजाही में भी परेशानी होती है। जल्द से जल्द खारी फीडर का नव निर्माण करवाया जाना चाहिए।
– बालकृष्ण गुर्जर, ग्रामीण
फैक्ट फाइल
– 32.5 किलोमीटर नंदसमंद से राजसमंद की दूरी
– 4 मीटर चौड़ाई और 1.80 मीटर फीडर की गहराई
– 400 क्यूसेक पानी की वर्तमान में झील में है आवक
यहां होती है सिंचाई
– 45 राजसमंद के गांव में 10144 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 07 नाथद्वारा के गांव की 467 हेक्टेयर में होती है सिंचाई
– 700 एमसीएफटी पीएचईडी के लिए रखा जाता है रिजर्व
भू-जल स्तर बढऩे के कारण निकल रहा पानी
खारी फीडर से जितना पानी निकल रहा है उतना ही झील में पहुंच रहा है। कई माह तक एक ही लाइन पर पानी चलने के कारण आस-पास के क्षेत्रों का भू-जल स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा भी खेत आदि लो लाइन पर होने के कारण भी पानी भरने का कारण माना जा सकता है। बजट घोषणा के अनुसार सिंचाई विभाग ने खारी फीडर को चौड़ा करवाने के लिए 79.94 करोड़ की डीपीआर तैयार आदि करवाकर स्वीकृति के लिए भिजवा दी है। सरकार से स्वीकृति मिलने पर टेण्डर आदि आमंत्रित किए जाएंगे।
– अरूण शर्मा, एक्सईएन सिंचाई विभाग राजसमंद