यूं बनता गया कारवा
इस अभियान की खास बात यह है कि इसमें अधिकांश लोग अपनी स्वैच्छा से जुड़े हैं। इसे सेवालय नाम दिया गया। इस अभियान से जुड़ी बैंक मैनेजर नेहाराव, सहकारिता विभाग में कार्यरत जितेन्द्र शर्मा, केशव सांचीहर, अध्यापिका वीणा वैष्णव, एलडीसी मुबारिक खान सिंधी, जया जोशी, रेखा चनिया और प्रगति सहित कई लोग इस अभियान से जुड़े हैं।
भामाशाह को प्रेरित कर पहुंचा रहे जूते-चप्पल
जिले के भोपाजी भागल में कार्यरत अध्यापक कृष्ण गोपाल गुर्जर ने भामाशाहों को प्रेरित कर करीब 7 हजार से अधिक बच्चों को जूते-चप्पल, स्वेटर आदि पहुंचा चुके हैं। नेहरू युवा केन्द्र के प्रकाश खटीक भी भामाशाह के सहयोग से साढ़े तीन हजार से अधिक बच्चों तक एवं चरण पादुका से जुड़े सदस्य भी 5 हजार से अधिक बच्चों तक जूते-चप्पल पहुंचा चुके हैं।
समारोह में खर्च होने वाले राशि से पहुंचाई चरण पादुका
वर्तमान में एसबीआई उदयपुर में ब्रांच मैनेजर नेहाराव ने बताया कि उनके पिता सेवानिवृत हुए। उन्होंने समारोह नहीं करने का निर्णय लिया। इसकी जगह समारोह में खर्च होने वाली राशि से जरूरतमंद बच्चों तक जूते-चप्पल और स्वेटर आदि उपलब्ध कराए। इसी प्रकार माता-पिता की वर्षगांठ पर, बच्चे के जन्मदिन पर भी ऐसा ही किया। इसी प्रकार इस अभियान जुड़े अन्य लोग भी जरूरतमंद बच्चों के बीच जाकर खुशी देने का प्रयास करते हैं।
इस अभियान की खास बात यह है कि इसमें अधिकांश लोग अपनी स्वैच्छा से जुड़े हैं। इसे सेवालय नाम दिया गया। इस अभियान से जुड़ी बैंक मैनेजर नेहाराव, सहकारिता विभाग में कार्यरत जितेन्द्र शर्मा, केशव सांचीहर, अध्यापिका वीणा वैष्णव, एलडीसी मुबारिक खान सिंधी, जया जोशी, रेखा चनिया और प्रगति सहित कई लोग इस अभियान से जुड़े हैं।
भामाशाह को प्रेरित कर पहुंचा रहे जूते-चप्पल
जिले के भोपाजी भागल में कार्यरत अध्यापक कृष्ण गोपाल गुर्जर ने भामाशाहों को प्रेरित कर करीब 7 हजार से अधिक बच्चों को जूते-चप्पल, स्वेटर आदि पहुंचा चुके हैं। नेहरू युवा केन्द्र के प्रकाश खटीक भी भामाशाह के सहयोग से साढ़े तीन हजार से अधिक बच्चों तक एवं चरण पादुका से जुड़े सदस्य भी 5 हजार से अधिक बच्चों तक जूते-चप्पल पहुंचा चुके हैं।
समारोह में खर्च होने वाले राशि से पहुंचाई चरण पादुका
वर्तमान में एसबीआई उदयपुर में ब्रांच मैनेजर नेहाराव ने बताया कि उनके पिता सेवानिवृत हुए। उन्होंने समारोह नहीं करने का निर्णय लिया। इसकी जगह समारोह में खर्च होने वाली राशि से जरूरतमंद बच्चों तक जूते-चप्पल और स्वेटर आदि उपलब्ध कराए। इसी प्रकार माता-पिता की वर्षगांठ पर, बच्चे के जन्मदिन पर भी ऐसा ही किया। इसी प्रकार इस अभियान जुड़े अन्य लोग भी जरूरतमंद बच्चों के बीच जाकर खुशी देने का प्रयास करते हैं।