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20 साल पहले अपहृत बच्चे को मां से मिलाने वाले थानेदार को देख भर आई आंखें, जानें पूरी कहानी

चितौडगढ़ के आवरी माता मंदिर परिसर से 20 साल पहले अपहृत बच्चे को अपहरण के आठ माह बाद ढूंढकर माता-पिता को सौंपने वाले पुलिस अधिकारी से बच्चे ने मिलकर पैर छुए तो आंखें नम हो गई।

राजसमंदApr 12, 2024 / 06:16 pm

Santosh Trivedi

हिमांशु धवल/राजसमंद। चितौडगढ़ के आवरी माता मंदिर परिसर से 20 साल पहले अपहृत बच्चे को अपहरण के आठ माह बाद ढूंढकर माता-पिता को सौंपने वाले पुलिस अधिकारी से बच्चे ने मिलकर पैर छुए तो आंखें नम हो गई। पुलिस अधिकारी ने उसे गले से लगा लिया। वह युवक अब करीब 23 साल हो गया है। बच्चे को ढूंढने वाले अधिकारी वर्तमान में कांकरोली थानाधिकारी के रूप में पदस्थापित है।

कांकरोली थानाधिकारी हनुवंत सिंह ने बताया कि राजसमंद के गायत्री शक्ति पीठ से जुड़े रमेशचन्द्र खारोल के बच्चे नहीं होने पर उन्होंने चितौड़ स्थित आवरी माता की मान्यता मांगी। इससे उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई। बच्चे के जन्म के करीब ढ़ाई साल बाद 2004 में रमेशचन्द्र खारोल अपने परिवार के सहित उस मान्यता को पूरी करने के लिए आवरी माता मंदिर पहुंचे। वहां पर वह बच्चा (रोहित) अन्य बच्चों के साथ खेल रहा था। इस दौरान वहां से गुजर रहे एक कालबेलिया दम्पती ने रोहित को अपने झोले में डाला और बच्चे को लेकर चलते बने। प्रसादी का समय होने पर माता-पिता ने रोहित को देखा तो वह कहीं नहीं मिला। अंत में हार मानकर उन्होंने भदेसर पुलिस थाने में बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कराई।

बच्चे के लापता होने के गम में डेढ़ माह बाद ही उसके दादा की मौत हो गई। बच्चे के माता-पिता की भी स्थिति खराब हो गई। पुलिस ने उसे ढूंढने का काफी प्रयास किया, लेकिन बच्चे का कहीं पता नहीं चला। करीब आठ माह बाद पुलिस ने उस बच्चे को ढूंढकर माता-पिता को सौंपा। बच्चे का अपरहरण करने वाले शंकर कालबेलिया और उसकी पत्नी को पुलिस ने गिरफ्तार किया और उसे न्यायालय से सजा दिलाई।

बच्चे के मुंह से निकला आवरी माता

कुछ देर बाद थाना प्रभारी ने बच्चे से एकदम से पूछा की कहां पर रहता है तो बच्चे के मुंह से निकल गया आवरी माता। थानाप्रभारी ने सोचा की आवरी माता मंदिर तो चितौड़ में है। उसने तुरंत चितौडगढ़ थाने के कन्ट्रोल पर फोन लगाया और पूछा कि किसी बच्चे की गुमशुदगी दर्ज हुई है क्या, इस पर वहां से जवाब मिला कि यहां से तो नहीं भदेसर थाने में करीब आठ माह पहले आवरी माता मंदिर से बच्चा गायब हुआ था। उन्होंने भदेसर थाने से गुमशुदगी की जानकारी ली और उसमें लिखा बेसिक फोन नम्बर लिया।


बच्चे का नाम लेतेही मां ने छीना फोन


थाना प्रभारी हनुवंत सिंह ने जैसे ही राजमसंद में रमेशचन्द्र खारोल को फोन लगाया। फोन रमेशचन्द्र ने उठाया। बच्चे की बात सुनते ही रोहित की मां ने फोन छिल लिया। उसने बताया कि उसका बच्चा गोरा है और कान में सोने के लौंग पहन रखे हैं और उसके बीच में नीले रंग का नग लगा हुआ है। पुलिस को मिले उस बच्चे ने भी यह पहन रखा था। इसके कुछ ही घंटों में रोहित के माता-पिता गणेशपुरा थाने पहुंच गए और उस बच्चे से लिपटकर घंटो रोते रहे। इसके पश्चात आवरी माता में बड़ी प्रसादी और जुलूस का आयोजन किया था।


कांकरोली थानाधिकारी हनुवंत सिंह ने कुछ दिन पहले आमेट से यहां पदस्थापित हुए हैं। वह गश्त के दौरान जलचक्की के निकट गायत्री शक्ति पीठ पहुंचे। उन्होंने उक्त घटना क्रम को याद किया तो वहां पर मौजूद लोगों ने बताया कि रमेशचन्द्र खारोल कोरोना के बाद से कुंवारिया के पास खंडेल गांव में शिफ्ट हो गए है। उन्होंने फोन पर उनकी बात भी करा दी। दो-तीन दिन पहले रोहित कांकरोली थाने पहुंचा। उसने जैसे ही पैर छूए और अपना नाम रोहित खारोल बताया तो थानाधिकारी ने उसे गले से लगा दिया। रोहित एक कम्पनी में सुपरवाइजर है।


यूं चला था बच्चे का पता


गणेशपुरा थाने में नवीन पदस्थापित एसआई हनुवंत सिंह को मुखबीर ने सूचना दी कि गामड़ीदेव गांव में शंकर कालबेलिया के डेरे पर एक बच्चा है। वह देखने में किसी अच्छे परिवार का लगता है। शक होने पर करीब 40 किलोमीटर दूर थानाप्रभारी उसके डेरे में पहुंचे। डेरे में तीन बच्चे मिले। इसमें दो लडक़ी और एक लडक़ा था। वह बच्चा देखने में दोनों लड़कियों से अलग दिख रहा था। पुलिस उस बच्चे को गणेशपुरा थाने लेकर सुबह करीब चार बजे पहुंची। वह बच्चा करीब तीन साल से अधिक का हो गया था। थानाप्रभारी ने बच्चे को अपने बच्चों के साथ सुला दिया। इसके पश्चात वह दोपहर करीब 12 बच्चा नॉर्मल हुआ तो थानाप्रभारी ने बच्चे से नाम पूछा। उसने अपना नाम पप्पू और पिता का नाम शंकर कालबेलिया और माता का नाम दुर्गा बताया। उन्हें लगा कि पुलिस से गलती हो गई।

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