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इस मंदिर के पुजारी रामकुमार साहू ने बताया कि यहां हर सप्ताह लगभग डेढ़ लाख पर्ची जमा होती है। महीने में औसतन चार लाख पर्ची जमा होती है, जिसे एकत्रित होने के बाद अयोध्या भेज दिया जाता है। बताया कि मंदिर में आसपास गांव के अलावा राजनांदगांव शहर और दुर्ग, भिलाई, रायपुर और कवर्धा से भी श्रद्धालु जुड़े हुए हैं, जो समय-समय पर आते हैं।
बेल पेड़ के नीचे विराजे हैं भगवान शिव पुजारी रामकुमार ने बताया कि यह मंदिर तकरीबन सौ साल पुराना है, जिसे उनके दादा झाड़ूराम साहू द्वारा स्थापित किया गया था। मंदिर में उनकी यह चौथी पीढ़ी है, जो सेवा दे रहे हैं। इससे पहले उनके पिता ठुबुलाल साहू पुजारी हुआ करते थे। दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर के ठीक सामने बेल के पेड़ के ठीक नीचे भगवान शिव परिवार का भी मंदिर है। वहीं इस मंदिर की कुछ दूरी पर ही श्मशान घाट भी है।
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तोड़ने का प्रयास हुआ विफल पुजारी रामकुमार ने बताया कि हाइवे सड़क का जब चौड़ीकरण हुआ तो निर्माण कंपनी द्वारा इस मंदिर को हटाने कहा गया, जब तत्कालीन पुजारी ठुबुलाल ने मूर्ति को हटाने में असमर्थता जताई तो अधिकारी जेसीबी लेकर इसे तोड़ने के लिए पहुंच गए, लेकिन जैसे ही इस मंदिर पर जेसीबी चलाने का आदेश दिया गया, वैसे ही उस अधिकारी के घर से कोई अनहोनी घटना होने की जानकारी आई, इसके बाद तत्काल इस मंदिर को तोड़ने से मना किया गया।
22 जनवरी को होगा सुंदरकांड पाठ पुजारी ने बताया कि इस दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में पिछले 30 साल से सीताराम बैंक का संचालन हो रहा है। पर्ची जमा करने वालों के साथ कई ऐसे चमत्कारिक वाक्या हो चुके हैं, तभी से यह मंदिर लोगाें के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। बताया कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के अवसर पर यहां भी सुंदरकांड पाठ के अलावा शाम को रामायण का आयोजन होगा। श्रद्धालुओं को महाप्रसादी (भंडारा) का वितरित किया जाएगा।