पश्चिमी विक्षोभ के चलते सोमवार सुबह से आसमान में बदली छाई रही। दिनभर आसमान में मंडराने काले बादल के चलते खरीफ सीजन की धान कटाई में जुटे किसानों की चिंता बढ़ी हुई है। यदि बारिश हुई, तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है। क्योंकि खेत में खड़ी फसल पककर तैयार है, तो वहीं काटने के बाद खलिहान में अन्नदाताओं का सोना पड़ा हुआ है। इसके अलावा इस बलदे मौसम से सब्जी और दलहनी फसल में कीट प्रकोप बढ़ेगा।
उपार्जन केंद्रों से धान उठाव की गति धीमी
1 नवंबर से सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी प्रारंभ हुई है, लेकिन उठाव को लेकर मार्कफेड कोई ठोस प्लान नहीं बना पाया है। इसी कारण अब तक उठाव में तेजी नहीं आ पाई है। बता दें कि राजनांदगांव जिले के 96 उपार्जन केंद्रों में अब तक 11 लाख 39 हजार 373.60 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है, जिसमें महज 1 लाख 51 हजार 73.20 क्विंटल धान का ही उठाव हो पाया है, मतलब 9 लाख 88 हजार 300.40 क्विंटल धान अब भी उजार्जन केंद्रों में जाम पड़े हैं।
तीनों जिले में यह स्थिति
राजनांदगांव के अलावा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ जिले में भी किसानों से धान की खरीदी जारी है, लेकिन उन जिलों में भी धान उठाव की गति बेहद कमजोर है। यह समिति प्रबंधकों के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है। बता दें कि केसीजी में अब तक 6 लाख 34 हजार 772.40 क्विंटल धान की खरीदी हुई है, जिसमें से महज 19 हजार 280 क्विंटल धान का उठाव किया गया है। वहीं एमएमएसी जिले में अब तक 2 लाख 10 हजार 359.60 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है, लेकिन परिवहन का आंकड़ा अब भी शून्य है। मतलब यहां उठाव की बोहनी नहीं हो पाई है।
कलक्टर और डीएमओ को सौंपेंगे ज्ञापन
जिला सहकारी समिति संघ के अध्यक्ष ईश्वर श्रीवास ने बताया कि उपार्जन केंद्रों से धान परिवहन की गति बेहद धीमी है। बदलते मौसम के बीच यदि बारिश होती है, समितियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि जिले के कई उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक खरीदी हो चुकी है, ऐसे में केंद्रों में पड़े धान को बारिश से बचाने बड़ी दिक्कत होगी। इसके अलावा उठाव में देरी होने पर सूखत और चूहे आदि से भी नुकसान की संभावना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि धान के उठाव में तेजी लाने के लिए जिला प्रशासन और मार्कफेड के अधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे।
राजनांदगांव के अलावा खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ जिले में भी किसानों से धान की खरीदी जारी है, लेकिन उन जिलों में भी धान उठाव की गति बेहद कमजोर है। यह समिति प्रबंधकों के लिए बड़ी मुसीबत बनी हुई है। बता दें कि केसीजी में अब तक 6 लाख 34 हजार 772.40 क्विंटल धान की खरीदी हुई है, जिसमें से महज 19 हजार 280 क्विंटल धान का उठाव किया गया है। वहीं एमएमएसी जिले में अब तक 2 लाख 10 हजार 359.60 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है, लेकिन परिवहन का आंकड़ा अब भी शून्य है। मतलब यहां उठाव की बोहनी नहीं हो पाई है।
कलक्टर और डीएमओ को सौंपेंगे ज्ञापन
जिला सहकारी समिति संघ के अध्यक्ष ईश्वर श्रीवास ने बताया कि उपार्जन केंद्रों से धान परिवहन की गति बेहद धीमी है। बदलते मौसम के बीच यदि बारिश होती है, समितियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि जिले के कई उपार्जन केंद्रों में बफर लिमिट से अधिक खरीदी हो चुकी है, ऐसे में केंद्रों में पड़े धान को बारिश से बचाने बड़ी दिक्कत होगी। इसके अलावा उठाव में देरी होने पर सूखत और चूहे आदि से भी नुकसान की संभावना बनी हुई है। उन्होंने कहा कि धान के उठाव में तेजी लाने के लिए जिला प्रशासन और मार्कफेड के अधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे।