CG University of Music: विदेशों से बटोर रहे सुर्खियां
तत्कालीन खैरागढ़ राजा स्व. वीरेन्द्र बहादुर सिंह व रानी स्व. पदमावती सिंह द्वारा अपनी पुत्री इंदिरा की याद में संगीत अकादमी खोलने महल दान किया गया था। समय के साथ पल्लवित हुए इस संगीत विवि ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई और अब इंदिरा कला संगीत विवि के रूप में संगीत कला और ललित कला को समेट कर विश्व में इसको विशेष पहचान दिलाने में सफल हो रहा है। 1700 विद्यार्थी शिक्षा ले रहे
संगीत विवि में फिलहाल 1700 से अधिक छात्र-छात्राएं संगीत कला ललित कला की बारीकियां सीख रहे हैं। इसमें देशभर के कोने-कोने के साथ 7 समंदर पार के छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं। संगीत विवि की पहचान बनाने में राजारानी के योगदान को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। शिक्षक से लेकर छात्र और संगीत विवि (CG University of Music) से जुड़े खैरागढ़ के लोग भी इसका परचम फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
संस्कृति से जुड़े संगीत की सीख
संगीत विवि में संगीत की विभिन्न विधाओं, नृत्यकला, दृश्य कला, ग्राफिक्स, मूर्तिकला, गायन, वादन, लोकसंगीत सहित कई ऐसी विधाओं की तालीम दी जा रही है, जो समय के साथ ओझल हो चुकी हैं। लोक संगीत के साथ ही भरत नाट्यम सहित देश के अलग-अलग राज्यों की लोक संस्कृति से जुड़े गीत और संगीत की भी तालिम दी जा रही है।
CG University of Music: संयोग ऐसा- कभी स्टूडेंट थीं, अब कुलपति
मोक्षदा चंद्राकर उर्फ ममता चंद्राकर कभी इस विवि की स्टूडेंट थीं। वर्तमान में वे कुलपति हैं और यहां की गतिविधियों को आगे बढ़ाने का काम कर रहीं हैं। ममता चंद्राकर छत्तीसगढ़ की लोक संगीत में नामी चेहरा हैं। इनके कई गीत लोगों की जुबां पर है। वहीं स्वर कोकिला के नाम से चर्चित कविता वासनिक ने भी (CG University of Music) यहां से संगीत की शिक्षा ली है। विवि से निकले कई स्टूडेंट आज संगीत के क्षेत्र में नाम रोशन कर रहे हैं।