बात करें तो रायपुर कलेक्टोरेट में 450 और तहसील में 85 कर्मचारी काम करते हैं। इसके अलावा जिले में तकरीबन 70 पटवारी भी कार्यरत हैं। इस आधार पर यदि सिर्फ दो घंटे कार्यालय में नहीं रहने का नुकसान निकालें तो एक दिन में सिर्फ रायपुर में 3 लाख 2 हजार 5 सौ रुपए नुकसान होता है। एक माह की बात करें तो एक माह में लगभग 60 लाख 50 हजार रुपए की चपत सरकार को लगती है।
यह भी पढ़ें
गोरा बनने का सपना हुआ चूर-चूर, मार्केट में बिक रही यह नकली क्रीम, खाद्य विभाग ने मारा छापा
सिर्फ 40 फीसदी को लेटलतीफ मानें तो कलेक्टोरेट के और तहसील के 40 फीसदी कर्मचारी एक से दो घंटे लेट से आते हैं और कार्यालय समय से पहले चले जाते हैं तो भी 25 लाख का नुकसान सरकार को हो रहा है। पेंडेंसी 20 फीसदी बढ़ी, जनता के नहीं हो रहे काम प्रशासन ने सप्ताह में दो दिन छुट्टी का निर्णय लेकर सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक कार्यालय समय तय किया गया था। दो दिन की छुट्टी देने की पीछे सरकार की मंशा थी कि कर्मचारी-अधिकारी अधिक उर्जा से काम करें। जिससे आम जनता को राहत मिल सके। लेकिन इसका असर विपरीत दिख रहा है। बीते एक साल में अधिकांश कार्यालयों में पेंडेंसी 20 फीसदी तक बढ़ गई है।
सभी कार्यालयों का यही हाल बतादें कि जिले के कलेक्टोरेट कार्यालय, तहसील, नगर निगम, वन विभाग और पटवारी कार्यालय में समय से कर्मचारी-अधिकारी नहीं मिलते हैं। कई बार तहसील कार्यालय में आम जनता पेशी दिनांक को पहुंचती है लेकिन अधिकारी छुट्टी पर मिलते हैं। इसके लिए कोई संदेश नहीं भेजा है।
यह भी पढ़ें
पति-पत्नी के झगड़े, जेल प्रहरी को निकालने समेत ऐसे अजीब शिकायतें पहुंचे निर्वाचन आयोग
देखें किसे कितना वेतन सहायक ग्रेड 3 – 35 से 40 हजारसहायक ग्रेड 2- 40 से 50 हजार
चपरासी – 22 से 25 हजार
डिप्टी कलेक्टर – तहसीलदार – 45 से 65 प्रति माह
(आंकड़े… हर माह का अनुमानित वेतन)
अभी अधिकांश अधिकारी कर्मचारियों को मतगणना की ट्रेनिंग दी जा रही है। इसलिए कार्यालय में पहुंचने वालों की संख्या कम है। जो लोग देर से कार्यालय पहुंच रहे हैं उनको नोटिस जारी किया जाएगा। – डॉ. संजय अलंग, संभागायुक्त, रायपुर
केबल कारोबार का ढाई करोड़ से ज्यादा गबन किया, तीन के खिलाफ अपराध दर्ज – राजनांदगांव पुलिस ने दर्ज किया अपराध
यह भी पढ़ें