सामान्य बोलचाल के दौरान यह प्रचलन में नहीं है। फिर भी अरसे से पुलिस महकमे के द्वारा 69 से ज्यादा उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं के जटिल शब्दों का का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन जटिल शब्दावली को आम नागरिक भी नहीं समझ पाते। इसके बाद भी पुलिसकर्मियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है। लेकिन जल्दी ही इनकी पुलिस महकमे से विदाई होगी।
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इनके स्थान पर सरल हिन्दी भाषा का उपयोग किया जाएगा। बता दें कि अंग्रेजों ने भारत में 1861 में पुलिसिंग और कानून व्यवस्था के लिए पुलिस अधिनियम लागू किया था। इसके बाद हिन्दी भाषी राज्यों में अरबी, उर्दू, फारसी और अन्य भाषाओं का उपयोग किया जा रहा है। अंग्रेजों ने अपनी सहूलियत के हिसाब से इसका उपयोग जारी रखा। हालांकि देश को आजाद हुए इन 75 सालों में अधिकांश राज्यों में हिन्दी, अंग्रेजी सहित अन्य भाषाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।इनका शब्दों का उपयोग
चिक खुराक – थाने में आरोपित के खाने पर हुआ खर्चनकल रपट – किसी लेख की नकल
नकल चिक – एफआइआर की प्रति
मौका मुरत्तिब – घटनास्थल पर की गई कार्रवाई
बाइस्तवा – शक, संदेह,
तरमीम – बदलाव करना अथवा बदलना
चस्पा – चिपकाना
जरे खुराक – खाने का पैसा
जामा तलाशी- वस्त्रों की छानबीन
बयान तहरीर – लिखित कथन
नक्शे अमन- शांति भंग
माल मसरूका- लूटी अथवा चोरी गई संपत्ति,
मजरूब- पीड़ित
मुजामत- झगड़ा
मुचलका- व्यक्तिगत पत्र
रोजनामचा आम- सामान्य दैनिक
रोजनामचा खास- अपराध दैनिक
सफीना – बुलावा पत्र
हाजा – स्थान अथवा परिसर
अदम तामील- सूचित न होना
अदम तकमीला- अंकन न होना
अदम मौजूदगी – बिना उपस्थिति
अहकाम- महत्वपूर्ण
गोस्वारा – नक्शा
इस्तगासा- दावा, परिवाद
इरादतन – साशय
गैर इरादतन — बिना किसी योजना
कब्जा- आधिपत्य
कत्ल/कातिल/कतिलाना – हत्या,वध/हत्यारा/प्राण-घातक
गुजारिश – प्रार्थना, निवेदन
गिरफ्तार/हिरासत – अभिरक्षा
नकबजनी – गृहभेदन, सेंधमारी
चश्मदीद गवाह – प्रत्यक्षदर्शी, साक्षी