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रायपुर

बहादुरी की मिसाल बने ये दो जांबाज, पैर कटने और रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद भी चुनी देश सेवा की राह

रायपुर के लालपुर निवासी 65 वर्षीय सेना के रिटायर्ड मेजर शमशेर सिंह कक्कड़ और मांढर निवासी चित्रसेन अनंत आज के युवाओं के लिए देश सेवा की मिसाल बने हुए हैं

रायपुरAug 15, 2018 / 12:34 pm

Deepak Sahu

special story

बहादुरी की मिसाल बने ये दो जांबाज, पैर कटने और रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद भी चुनी देश सेवा की राह

रायपुर . पाकिस्तान से युद्ध करते हुए एक ने अपने पैर गंवाए तो दूसरे की रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से शरीर चलने फिरने लायक नहीं रहा। लेकिन दोनों ने जिंदगी की जंग नहीं हारी। रायपुर के लालपुर निवासी 65 वर्षीय सेना के रिटायर्ड मेजर शमशेर सिंह कक्कड़ और मांढर निवासी चित्रसेन अनंत आज के युवाओं के लिए देश सेवा की मिसाल बने हुए हैं। अहम बात यह है कि दोनों ही भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मनों को धूल चटाई।

मेजर शमशेर सिंह कक्कड़ ने 1971 में और हवलदार चित्रसेन अनंनत ने कारगिल युद्ध में। 1971 के भारत पाक युद्ध में मेजर शमशेर सिंह कक्कड़ दुश्मन की पोस्ट की ओर आगे बढऩे के दौरान लैंड माइन में पैर पडऩे के उनके बांये पैर के चीथड़े उड़ गए थे।

देश के प्रति उनका प्रेम इस कदर रहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी उन्होंने लकड़ी के पैरों के सहारे 20 साल और आर्मी में ही नौकरी की। अब वो अपना अनुभव स्कूल, कॉलेज, एनसीसी कैंप, सामाजिक कार्यो में देते रहे हैं। दूसरी ओर 11 महार रेजिमेंट के हवलदार चित्रसेन अनंनत ने कारगिल युद्ध लैंड माइंस के फटने पर एक टुकड़ा उनकी रीढ़ की हड्डी में लग जाने से चलने फिरने के लायक भी नहीं रहे। लेकिन इसके बाद भी हौसला एेसा रहा कि अपने गांव युवाओं को नशे गलत संगतियों से दूर रहने की सलाह देते हुए घर में ही आर्मी में भर्ती की तैयारी करा रहे हैं।

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