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अभी फरवरी है। पात्र-अपात्र की सूची लगभग तैयार है। हफ्ते-डेढ़ हफ्ते में लिस्ट आ सकती है। लेकिन, भर्ती का एक बार फिर टलना तय है। वो इसलिए क्योंकि सूची आने के बाद दस्तावेज सत्यापन व अन्य प्रक्रियाएं पूरी कराते ज्वाइनिंग में तकरीबन एक महीने लग जाते हैं। जबकि, मार्च मध्य तक लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में नए आत्मानंद स्कूलों को इस शैक्षणिक सत्र में तो शिक्षकों की कमी से निजात मिलने से रही। इधर, आधे-अधूरे इंतजामों के साथ खोले गए स्कूलों में पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित होने से पैरेंट्स को बच्चों का भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है।
भनपुरी स्कूल में प्राइमरी के 1 शिक्षक तो सप्रे में एक भी नहीं नए आत्मानंद इंग्लिश स्कूलों में पं. गिरिजा शंकर मिश्र स्कूल रायपुरा, शशिबाला नगर निगम गर्ल्स स्कूल गुढ़ियारी, काशीराम शर्मा स्कूल भनपुरी, माधवराव सप्रे स्कूल और गवर्नमेंट स्कूल त्रिमूर्ति नगर शामिल हैं। इन्हें शुरू करने का आदेश सितंबर में जारी हुआ।
इन स्कूलों में शिक्षकों के 84 पदों पर नियुक्ति की गई। इनमें से महज 43 ने ही ज्वाइनिंग दी। इसी के चलते कुछ स्कूलों में एक तो कहीं प्राइमरी के लिए एक भी सहायक शिक्षक नहीं हैं। पड़ताल में पता चला कि भनपुरी स्कूल में 17 में से 9 ने ही ज्वाइन किया। यहां प्राइमरी में अभी सिर्फ एक शिक्षक हैं। त्रिमूर्ति नगर में 16 में से 9 ने ज्वाइन किया। यहां भी प्राइमरी के एक शिक्षक हैं। सप्रे स्कूल का भी यही हाल है। 16 में से 9 ने ही ज्वाइन किया। रायपुरा स्कूल में 17 में से 12 ने ज्वाइनिंग दी। इनमें केवल 2 टीचर प्राइमरी के हैं। गुढ़ियारी में 16 में से 4 शिक्षकों ने ज्वाइन किया।
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शशिबाला स्कूल की बिल्डिंग जर्जर, भनपुरी का भवन आधा-अधूरा
जल्दबाजी में आत्मानंद स्कूल खोलने का खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। शशिबाला स्कूल जर्जर होने से यहां के बच्चों की पढ़ाई लंबे वक्त तक शुरू ही नहीं हो पाई। इसी तरह भनपुरी में नए आत्मानंद स्कूल के लिए बन रहा भवन अब तक आधा-अधूरा है। बच्चे यहां अभी जमीन पर दरी बिछाकर पढ़ाई कर रहे हैं। बाकी स्कूलों में भी बच्चों और स्कूल स्टाफ के बैठने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, व्यवस्था को लेकर सभी स्कूल प्रबंधन ने स्कूल शिक्षा विभाग को पहले भी पत्र लिखा है।
शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर कलेक्टर से जल्द समय सारिणी जारी करने की मांग करेंगे, ताकि प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके।
– हिमांशु भारतीय, डीईओ, रायपुर
– हिमांशु भारतीय, डीईओ, रायपुर