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सिम लोकेशन पर रहे फोकस
एक्सपर्ट्स की सलाह है कि प्रीपेड सिम को लोकेशन के हिसाब से विभिन्न सर्कल में जारी किया जाना चाहिए। सर्कल के बाहर सिम के इस्तेमाल पर पाबंदी के बारे में विचार किया जाना चाहिए। किसके ‘आधार’ पर कितनी सिम हैं, यह जानकारी खुद कंपनियों को उपभोक्ताओं तक पहुंचानी चाहिए।स्पैम डिटेक्शन बना मददगार
टेलिकॉम कंपनियां अब खुद ही स्पैम डिटेक्शन तकनीक अपना कर उपभोक्ताओं को अवेयर कर रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से ऐसा करना संभव हुआ है। हाल ही एयरटेल ने 8 अरब स्पैम कॉल और 0.8 अरब स्पैम एसएमएस चिह्नित करने का दावा किया है। जियो व अन्य कंपनियां भी अलर्ट कर रही हैं। हालांकि अधिकांश स्पैम कॉल्स हेल्पलाइन, कॉल सेंटर या प्रमोशन से संबंधित हैं। ऐप से डेटा लीक पर रोक लगे
कॉलर आइडेंटिटी के नाम पर कई ऐप आ गए हैं जो उपभोक्ता को सुरक्षा की गारंटी देते हैं पर इनमें से कई डेटा लीक करने में सहभागी बन रहे हैं। ऐसे ऐप पर रोक लगाने की दिशा में टेलिकॉम कंपनियों को आगे आकर कॉलर आइडेंटिफिकेशन के लिए खुद के सर्टिफाइड ऐप लाने होंगे।
कॉलर आइडेंटिटी के नाम पर कई ऐप आ गए हैं जो उपभोक्ता को सुरक्षा की गारंटी देते हैं पर इनमें से कई डेटा लीक करने में सहभागी बन रहे हैं। ऐसे ऐप पर रोक लगाने की दिशा में टेलिकॉम कंपनियों को आगे आकर कॉलर आइडेंटिफिकेशन के लिए खुद के सर्टिफाइड ऐप लाने होंगे।
मैसेज ट्रेसिबिलिटी सिस्टम लागू टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) का नया मैसेज ट्रेसिबिलिटी सिस्टम लागू हो चुका है। मैसेज के स्रोत को इससे ट्रेस किया जा सकेगा। इससे कमर्शियल मैसेजेस के मामले में उपभोक्ता को राहत मिलेगी। जरूरी मैसेज मिस न हों, इस दृष्टि से भी यह एक अच्छी पहल है।
टेलिकॉम कंपनियों को करनी होगी पहल इंडिपेंडेंट साइबर सिक्योरिटी फॉरेंसिक एवं लॉ एक्सपर्ट मोनालीकृष्ण गुहा के मुताबिक यदि टेलिकॉम कंपनियां निम्न बिंदुओं पर पहल करेंगी तो ठगी के मामलों में काफी गिरावट आ सकती हैः
फ्रॉड कॉल वन स्टॉप रिपोर्टिंग उपभोक्ताओं के लिए साइबर अपराध की सूचना हेतु टोल फ्री नंबर जारी करें। सुरक्षा व जांच एजेंसियों व मंत्रालय के लिए संबंधित डेटा सुलभ होना चाहिए। आपराधिक रिकॉर्ड में दर्ज नंबरों का इन नंबरों से मिलान भी किया जाए।
हर सिम की साल में कम से कम 2 बार केवाइसी ताकि वैध यूजर्स का डेटा फिल्टर किया जा सके और अवैध यूजर पहचाने जा सकें। सभी यूजर्स के आधार कार्ड को यूआइडीएआइ लॉक करेः ताकि बायोमेट्रिक का दुरुपयोग सीधे तौर पर न हो पाए। जरूरत पड़ने पर अनलॉकिंग की सुरक्षित प्रक्रिया के साथ 24 घंटे में पुनः लॉक करने का प्रावधान हो।
आइएमईआइ मॉनिटरिंग बहुत कम समयांतराल में अधिक कॉल व बार-बार सिम बदले जाने से जुड़े मोबाइल व डिजिटल डिवाइस का डेटा रेड फ्लैग किया जाए। ओनर-यूजर वेरिफिकेशन ऐसे मामलों में, जहां सिम किसी और के नाम की होती है पर उसका उपयोग सहमति से कोई और कर रहा होता है, जिम्मेदारी तय करने को लेकर नए नियम लाए जाएं।
री-रजिस्ट्रेशन ड्राइव नेशनल लेवल पर मौजूदा सिम की पुनः केवाइसी और बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन को सुनिश्चित किया जाए। एक निश्चित अवधि में ऐसा न होने पर सिम बंद की जाएं। पुलिस वेरिफिकेशन शामिल करना भी एक मजबूत कदम होगा।
एसओएस यानी इमरजेंसी रिस्पॉन्स बटन हर बैंकिंग एवं यूपीआइ ऐप में उपलब्ध हो ताकि ठगी की रकम हो तत्काल रोकने का मेकैनिज्म तैयार हो। यूजर्स को पीयूके सिम लॉक एवं ई-सिम को लेकर सरल शब्दों में अवेयर किया जाए।