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Pre-wedding: प्री-वेडिंग शूट को लेकर कड़ी टिप्पणी
Pre-wedding: महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने प्री-वेडिंग शूट को लेकर कड़ी टिप्पणी की। पिछले वर्ष महिला आयोग में एक युवती ने शिकायत दर्ज कराई थी कि प्री-वेडिंग शूट के बाद उसका रिश्ता टूट गया। इस मामले में दोनों पक्षों ने आपसी समझौते से फोटोज़ और वीडियोज़ डिलीट कर मामले को सुलझा लिया। लेकिन, इस मामले ने समाज में एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा किया है कि क्या इस तरह की गतिविधियां रिश्तों और संस्कृति को प्रभावित कर रही हैं? उनका कहना है कि यह परंपरा लड़कियों के लिए ठीक नहीं है। शादी से पहले फोटो शूट करवाने से समाज में गलत संदेश जाता है, जिससे लड़कियों की मर्यादा पर सवाल उठ सकते हैं। नायक ने कहा कि भारतीय संस्कृति में कन्यादान के बाद ही रिश्तों को सार्वजनिक किया जाता है न कि शादी से पहले। प्री-वेडिंग शूट के कारण लड़कियां खुद को सार्वजनिक प्रॉपर्टी बना रही हैं, जिससे भविष्य में उन्हें नुकसान हो सकता है।
आदर्श विवाह और शादी की प्रथाओं पर सुझाव
सूरज निर्मलकर, प्रदेश अध्यक्ष छत्तीसगढ़ धोबी समाज ने विवाह योग्य युवक-युवती परिचय समेलन आयोजित करने की अपील की है। इससे अंतरजातीय विवाह में कमी आएगी। उन्होंने आदर्श विवाह अपनाने की बात की, जिसमें दोनों पक्षों के स्वास्थ्य प्रमाण पत्र और मुखिया की उपस्थिति अनिवार्य हो। इसके अलावा सगाई और चौथिया प्रथा पर रोक लगाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि जूते छिपाने जैसी प्रथाओं को भी समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह फिल्मों से प्रेरित है, जो हमारे पुरखों की परंपराओं के खिलाफ हैं।संस्कृति के खिलाफ या आधुनिकता का हिस्सा
प्रांतीय अग्रवाल संगठन के अध्यक्ष डॉ. अशोक अग्रवाल ने सामाजिक बैठकों में प्री-वेडिंग शूट जैसी कुरीतियों को रोकने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि विवाह एक पवित्र बंधन है, जो दो परिवारों और आत्माओं का मिलन है न कि दिखावे का जरिया। प्री-वेडिंग शूट को निजता का उल्लंघन बताते हुए उन्होंने इसे अनावश्यक खर्च और पारिवारिक तनाव का कारण बताया। समाज इसे स्टेटस सिंबल के रूप में देखता है, जो मर्यादा को कम करता है। अग्रवाल ने कहा कि शादी को सादगी और भारतीय परंपराओं के अनुरूप मनाना चाहिए।