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Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: जानें क्या होता है डिजिटल अरेस्ट? AIG ने लोगों को दी ये सलाह..

Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: रायपुर जिले में ही हर साल साइबर ठगी के जरिए 20 करोड़ से अधिक की चपत लग रही है।… अपराधों के विरुद्ध पत्रिका अभियान से जुड़े रहिए और सतर्क रहिए…

रायपुरNov 30, 2024 / 01:51 pm

Shradha Jaiswal

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Patrika Abhiyaan: रायपुर जिले में ही हर साल साइबर ठगी के जरिए 20 करोड़ से अधिक की चपत लग रही है। इस राशि के वापस मिलने की कोई गारंटी नहीं रहती। बैंक, पुलिस और कोर्ट में अलग-अलग नियम-कायदों के चलते पीड़ितों को राशि वापस नहीं मिल पाती। होल्ड हुई राशि भी कुछ ही लोगों मिल पाई।
रायपुर साइबर सेल अब तक 6,41,94,821 होल्ड कराया है। 10 लाख रुपए ही पीड़ितों को वापस मिल पाए हैं। पीएचक्यू साइबर टीम 22 करोड़ 68 लाख रुपए होल्ड करवा चुकी है।

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Patrika Raksha Kavach Abhiyaan: सावधान रहें… यहां बताएं

हमारी सरकार साइबर क्राइम को रोकने हरसंभव प्रयास कर रही है। प्रदेश में संचालित 6 साइबर थानों के साथ 5 नए साइबर थानों के लिए बजट में प्रावधान किया गया था। साइबर ठगों की गिरतारी के लिए अन्य राज्यों की पुलिस से मिलकर काम कर रहे हैं। लोगों में जागरूकता लाने साइबर पखवाड़ा आयोजित करवा रहे हैं।

Q. डिजिटल अरेस्ट क्या होता है?

जवाब : डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी का एक तरीका बन गया है। पुलिस, सीबीआई, क्राइम ब्रांच आदि कोई भी जांच एजेंसी डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है। यह साइबर ठगों का जुमला है। इससे डरा-धमकाकर पैसे वसूले जाते हैं। इसमें पूरा ठगों का पूरा ग्रुप शामिल होता है। लोगों इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इनके झांसे में आने से बचना चाहिए।

Q. ऑनलाइन ठगी रोकने क्या प्रयास होने चाहिए?

जवाब : ऑनलाइन ठगी रोकने के लिए लोगों का जागरूक होना बहुत जरूरी है। स्कूलों के अलावा सभी भर्ती परीक्षाओं के सिलेबस में साइबर क्राइम को शामिल करना चाहिए। खासकर पुलिस भर्ती परीक्षा में। इससे उन्हें काफी जानकारी हो सकेगी। इसके अलावा आईटी के जानकारों की भर्ती होना चाहिए। इससे ऑनलाइन ठगी के मामलों की जांच में काफी मदद मिलेगी।

Q. बचाव के क्या उपाय हो सकते हैं?

जवाब : मोबाइल, सोशल मीडिया, इंटरनेट से जुड़े साइबर क्राइम के बारे में जानकारी बढ़ानी होगी। ऑनलाइन खरीदारी-भुगतान करते समय अच्छी तरह जानकारी जुटा लें। अनजान नंबरों से आए इंटरनेट लिंक, मोबाइल ऐप को ओपन न करें। उसमें लेन-देन करने से बचें। बैंकिंग, इन्वेस्टमेंट कंपनियां और बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों के मिलते-जुलते नाम से बनी फर्जी वेबसाइटों को लेकर अलर्ट रहें।

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