नक्सल मोर्चे पर राज्य पुलिस और केंद्रीय फोर्स के 80000 से ज्यादा जवान तैनात किए गए है। इन जवानों को विषम परिस्थिति में भी नक्सलियों के खिलाफ एंटी ऑपरेशन चलाकर अपने और ग्रामीणों के साथ ही जान-माल की सुरक्षा करनी पड़ती है। इस बार बरसात के मौसम को देखते हुए डेंगू और मलेरिया ने तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया है। बारिश शुरू होते ही घने जंगलों में बनाए गए अस्थाई पुलिस कैंपों में जवानों के ऊपर इस बीमारी के चपेट में आने का ज्यादा खतरा बना हुआ है।
Malaria in Bastar: कैंपों में दवाई मुहैया कराने के निर्देश
जवानों को हर दिन इन्हीं घने जंगलों में गश्ती में जाना पड़ता है और बरसात के मौसम में भी ऑपरेशन मानसून जारी रहता है। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि डेंगू और मलेरिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए संभाग के सभी कैम्पो में और जवानों को अलर्ट किया गया है।
इस बीमारी की चपेट में आने से बचने के लिए सावधानी बरतने को कहा गया है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में दवाइयों के साथ-साथ संसाधन भी पुलिस कैंपों में मुहैया कराने के निर्देश दिए गए हैं। जवानों को बेहतर मेडिकल सुविधा देने के लिए पुलिस कैंप्स में इंतजाम किए गए हैं। फिलहाल जवानों को और अंदरुनी क्षेत्रों के सभी कैंप में दोनों गंभीर बीमारी से बचने के लिए पूरी तरह से सावधानी बरतने के लिए कहा गया है।
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बस्तर में सुरक्षा बलों के लिए मलेरिया और डेंगू का खतरा
बस्तर, छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख क्षेत्र है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और घने जंगलों के लिए जाना जाता है। हालांकि, यह क्षेत्र माओवादी गतिविधियों के लिए भी कुख्यात है। इन गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। लेकिन, यहां तैनात सुरक्षाकर्मी न केवल माओवादी हमलों के खतरे का सामना करते हैं, बल्कि मलेरिया और डेंगू जैसी घातक बीमारियों का भी सामना करते हैं। इस लेख में, हम बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों पर मलेरिया और डेंगू के खतरे के विभिन्न पहलुओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।
बस्तर का भौगोलिक और पर्यावरणीय परिप्रेक्ष्य
बस्तर क्षेत्र घने जंगलों, नदियों और दलदली इलाकों से घिरा हुआ है, जो मलेरिया और डेंगू के मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। इन बीमारियों के मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन करते हैं, जो इस क्षेत्र में बहुतायत में मिलता है। मानसून के दौरान, इन बीमारियों का प्रकोप और भी बढ़ जाता है, जिससे सुरक्षा बलों के लिए खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
मलेरिया और डेंगू का प्रभाव
मलेरिया एक परजीवी रोग है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह बीमारी बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों के लिए एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। मलेरिया के लक्षणों में बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान और उल्टी शामिल हैं। यदि समय पर इलाज नहीं किया गया, तो मलेरिया जानलेवा साबित हो सकता है।
Malaria in Bastar: बस्तर में एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा
डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह भी बस्तर में एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा है। डेंगू के लक्षणों में तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकान, उल्टी और त्वचा पर लाल चकत्ते शामिल हैं। गंभीर मामलों में, डेंगू रक्तस्रावी बुखार (DHF) या डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) में परिवर्तित हो सकता है, जो घातक हो सकता है।
सुरक्षा बलों पर इन बीमारियों का प्रभाव
बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों को इन बीमारियों का सीधा खतरा होता है। उनकी ड्यूटी की प्रकृति के कारण, उन्हें जंगलों में गश्त करनी पड़ती है, जहां मलेरिया और डेंगू के मच्छरों का प्रकोप अधिक होता है। इसके अलावा, उनका निवास स्थान भी जंगलों के निकट होता है, जिससे मच्छरों के काटने का जोखिम बढ़ जाता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौती
बस्तर का दुर्गम इलाका और सीमित स्वास्थ्य सेवाएं स्थिति को और जटिल बना देती हैं। कई बार सुरक्षा बलों को समय पर चिकित्सा सहायता नहीं मिल पाती है, जिससे मलेरिया और डेंगू का प्रभाव और बढ़ जाता है। गंभीर मामलों में, समय पर इलाज न मिलने से जान का भी खतरा हो सकता है।
मनोवैज्ञानिक प्रभाव
इन बीमारियों का मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी सुरक्षा बलों पर पड़ता है। लगातार बीमारियों के खतरे और शारीरिक कमजोरी से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह उनके मनोबल को प्रभावित करता है और उनकी कार्यक्षमता में कमी लाता है।
रोकथाम और प्रबंधन
सुरक्षा बलों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए विभिन्न रोकथाम और प्रबंधन उपायों की आवश्यकता है। कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
मच्छरदानी और रिपेलेंट का उपयोग
सुरक्षा बलों को मच्छरदानी और मच्छर रिपेलेंट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यह उपाय मच्छरों के काटने से बचाने में सहायक होते हैं। साथ ही, उनके निवास स्थानों पर नियमित रूप से मच्छर निरोधक छिड़काव किया जाना चाहिए।
Malaria in Bastar: स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता
सुरक्षा बलों के बीच मलेरिया और डेंगू के लक्षणों और उनके रोकथाम के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। इससे उन्हें इन बीमारियों से बचने के उपायों के बारे में जानकारी मिलेगी और वे समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकेंगे।
नियमित स्वास्थ्य जांच
सुरक्षा बलों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जानी चाहिए, ताकि मलेरिया और डेंगू के प्रारंभिक लक्षणों की पहचान की जा सके और समय पर उपचार प्रदान किया जा सके। इससे बीमारियों के फैलने की संभावना को कम किया जा सकता है।
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टीकाकरण और प्रिवेंटिव मेडिकेशन
मलेरिया के खिलाफ प्रिवेंटिव मेडिकेशन और डेंगू के खिलाफ टीकाकरण (यदि उपलब्ध हो) किया जाना चाहिए। इससे इन बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों की भूमिका
राज्य सरकार और स्वास्थ्य एजेंसियों को बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। इनमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थापना, मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की तैनाती, और स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।
अनुसंधान और विकास
मलेरिया और डेंगू के प्रबंधन के लिए नए उपचार और रोकथाम के उपायों पर अनुसंधान और विकास किया जाना चाहिए। इसके अलावा, इन बीमारियों के मच्छरों के प्रसार को रोकने के लिए नए तकनीकी उपायों को अपनाया जाना चाहिए।
कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव
बस्तर में तैनात सुरक्षा बलों के लिए मलेरिया और डेंगू का खतरा गंभीर है। इन बीमारियों का प्रभाव न केवल उनके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इसे देखते हुए, सुरक्षा बलों की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक रोकथाम और प्रबंधन उपायों की आवश्यकता है। सरकार, स्वास्थ्य एजेंसियों और सुरक्षा बलों के संयुक्त प्रयास से इन बीमारियों के खतरे को कम किया जा सकता है, जिससे सुरक्षा बलों की कार्यक्षमता और मनोबल को बनाए रखा जा सके।