Mahadev Satta App: केडिया पर सट्टे की रकम को शेयर बाजार में लगाने का आरोप
जांच के दौरान
सट्टा से अर्जित रकम को परफेक्ट प्लान इन्वेस्टमेंट (एलएलपी) एक्सिम जनरल ट्रेडिंग (एफजेडको) और टेक प्रो आईटी सॉल्यूशन (एलएलसी) जैसी कंपनियों के जरिए निवेश करने की जानकारी मिली है। उक्त कंपनियों में निवेश की रकम को छिपाने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो (एफपीआई) का इस्तेमाल किया जा रहा था।
गोविंद केडिया द्वारा स्टॉक पोर्टफोलियो फर्म का मालिक है। केडिया पर सट्टे की रकम को शेयर बाजार में लगाने का आरोप है। जांच में पता चला है कि विकास छपरिया के कहने पर गोविंद केडिया ने शेयर बाजार में सट्टे की कमाई को निवेश किया।
साझेदारी की फर्म
इन निवेशों से होने वाले लाभ और हानि को कथित तौर पर 75:25 के अनुपात में बांटा गया था। जिसमें गोविंद केडिया ने कुल निवेश के केवल 25 फीसदी पर ब्याज लिया था। 2023 में ईडी ने गोविंद केडिया के ठिकानों पर छापेमारी कर 18 लाख रुपये कैश और 13 करोड़ रुपए के सोने के ज्वेलरी जब्त की थी। ईडी महादेव सट्टा ऐप प्रकरण की जांच के दौरान विकास की कंपनियों की 236.3 करोड़ रुपए नगद डेरिवेटिव और सुरक्षा होल्डिंग्स को फ्रीज कर चुकी है। वही गोविंद केडिया की शेल कंपनी मेसर्स लैक्सिस रेजीडेंसी एलएलपी विकास छपरिया की पार्टनशिप फर्म और एक अन्य महादेव सट्टा ऐप के एक अन्य आरोपी नितिन टिबरेवाल से जुड़ी थी।
गोविंद केडिया की अहम भूमिका
गोविंद केडिया का नाम टेकप्रो आईटी सॉल्यूशंस लिमिटेड के शेयर होल्डर नितिन टिबरेवाल से जुड़ा हुआ है। नितिन टिबरेवाल पर महादेव ऑनलाइन बुक सिंडिकेट के लिए कंपनी का इस्तेमाल करने का आरोप है। ईडी का दावा है कि टिबरेवाल ने अवैध सट्टेबाजी संचालन से होने वाली आय को विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के माध्यम से शेयर बाजार में लगाया, जिससे शेयर ट्रेडिंग के माध्यम से करोड़ों रूपए की ब्लैकमनी को सफेद किया गया। इस पूरे खेल में गोविंद केडिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ।
ईडी कर रही केडिया से पूछताछ
ईडी की टीम इस समय महादेव सट्टा ऐप प्रकरण में पकड़े गए गोविंद केडिया से पूछताछ कर रही है। गिरफ्तारी के बाद उसे 5 दिन की रिमांड पर लिया गया है इसकी अवधि पूरी होने पर 11 दिसंबर को उसे विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया जाएगा। 2295 करोड़ की संपत्ति कुर्क
Mahadev Satta App: ईडी
महादेव सट्टा ऐप प्रकरण में 2295.61 करोड़ की संपत्ति को कुर्क कर चुकी है। इस प्रकरण में फरार चल रहे हरि शंकर टिबरेवाल से संबंधित मॉरीशस स्थित कंपनी मेसर्स टानो इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटीज द्वारा एफपीआई में निवेश करने के साथ ही छत्तीसगढ़ सहित मुंबई और मध्य प्रदेश में स्थित प्रमोटर्स के नाम पर कई अचल संपत्ति खरीदी गई और उनका इन्वेस्टमेंट किया गया है।