जनता ने भी वोटों के प्रतिशत के हिसाब से हार-जीत का गणित बैठाना शुरू कर दिया है। चौक-चौराहों पर अब प्रत्याशियों के जीत के दावे हो रहे हैं। कुछ लोकसभा सीटाें पर सीधे जीत का और कुछ में टक्कर की बात सामने आ रही है। मतदान के बाद राजनीतिक दलों के नजरियों में भी बदलाव दिखा है। जहां मतदान अधिक हुआ है, वो कांग्रेस को अपनी जीत दिखाई दे रही है। वहीं भाजपा इस बार 11 की 11 लोकसभा सीट जीतने का दावा कर रही है।
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दो चरण में ज्यादा तीसरे में कम मतदान
छत्तीसगढ़ में पहले चरण में नक्सल प्रभावित क्षेत्र बस्तर में मतदान हुआ। यहां पिछली बार की तुलना में 2.25 फीसदी अधिक मतदान हुआ। दूसरे चरण में राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर में मतदान हुआ। इन तीन लोकसभा में पिछली बार तुलना में 1.3 फीसदी मतदान अधिक हुआ। जबकि तीसरे चरण में कोरबा, जांजगीर-चांपा, दुर्ग, बिलासपुर, रायगढ़, रायपुर और सरगुजा में मतदान हुआ। पिछली बार की तुलना में 3.32 फीसदी मतदान हुआ है। हालांकि तीसरे चरण के मतदान का प्रतिशत में अभी वृद्धि होगी।
शुरू से रहा है भाजपा का दबदबा
राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ़ में शुरू से भाजपा का दबदबा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में ही कांग्रेस 11 में से 2 लोकसभा सीट जीतने में कामयाब हुई थी। इसके पहले तक कांग्रेस के खाते में एक सीट ही आती रही है। हालांकि इस बार कांग्रेस-भाजपा दोनों ने रणनीति बदलकर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस अपने दिग्गज नेताओं पर दांव खेला है, तो भाजपा ने दो सांसदों को दोबारा मौका दिया है। जबकि वर्ष 2019 के चुनाव में सभी सांसदों की टिकट काट दी गई थीं।
इन सीटाें कांग्रेस ने नहीं जीता
प्रदेश में लोकसभा की 11 सीट है। इनमें से छह सीट ऐसी है, जिसमें कांग्रेस ने राज्य निर्माण के बाद से कभी चुनाव नहीं जीता है। इसमें रायपुर, सरगुजा, बिलासपुर, रायगढ़, कांकेर और जांजगीर-चांपा में कांग्रेस जीत दर्ज नहीं करा सकी है। जबकि दुर्ग, कोरबा, बस्तर और महासमुंद में चुनाव जीता है। इसके अलावा राजनांदगांव में हुए उप चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी।