मंगलवार को रायपुर पहुंचे पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यूयू ललित से जब ये सवाल पूछा गया तो उनका कहना था, एआई आपको बेहतर विकल्प दे सकता है, फैसले नहीं ले सकता। इंसानी दिमाग को आप एआई से रिप्लेस नहीं कर सकते। फैसले तो इंसान ही लेंगे। यूयू ललित हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में आयोजित तीसरे महात्मा गांधी मेमोरियल लेक्चर में शामिल होने के लिए राजधानी पहुंचे थे। क्या हमारा कानून वर्चुअल रेप और डीपफेक वीडियो जैसे मामलों में लोगों को न्याय दिलाने में सक्षम है?
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पूर्व सीजेआई… इस सवाल के जवाब में यूयू ललित कहते हैं, मामला दर्ज होने के बाद भी डीपफेक वीडियो लंबे समय तक संबंधित प्लेटफॉर्म से नहीं हट पाते। तब तक संबंधित व्यक्ति की प्रतिष्ठा को गहरी ठेस पहुंच चुकी होती है। ऐसे में पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए मौजूदा कानून में सुधार की दरकार है।
गांधीजी की अंग्रेज भी सुनते थे क्योंकि वे कानून की राह पर चले : महात्मा गांधी के अन्य आंदोलनकारियों से एक कदम आगे होने की वजह बताते हुए यूयू ललित ने कहा, एक दौर था 1920 से पहले का। तिलकजी (लोकमान्य तिलक) ने गणेश पक्ष, शिवरात्रि पर सामूहिक उत्सव मनाने की परंपरा शुरू कर पूरे देश को एकजुट किया।
आजादी पाने का उनका तरीका एक्सप्लोसिव था। 1920 के बाद का दौर गांधीजी का था। अंग्रेजों को भी उनकी सुननी पड़ी क्योंकि गांधीजी हमेशा कानून की साइड रहे। उन्होंने अहिंसा का रास्ता चुना। सत्याग्रह किया। कानूनी तौर-तरीकों से ही उन्होंने देश को आजादी दिलाई।