इसके तहत ठेका 5 साल और पर्यावरण विभाग की स्वीकृति 6 माह की जगह 1 साल किया गया है। एनओसी की समय सीमा खत्म होने के बाद इसे दोबारा रिन्यूअल कराना होगा। चौंकाने वाली बात यह है कि अभी तक पूर्व में जिन 6 रेत खदानों की निविदा हुई थी, उनमें से सिर्फ दो को ही पर्यावरण एनओसी मिली है। बाकी बिना एनओसी के खनन कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें : एक मजदूर की जान की कीमत सिर्फ 25 हजार रुपए, कोयला खदान में इस हालत में कर रहे काम, डराने वाली रिपोर्ट 4 साल पहले हुई थी ऑनलाइन नीलामी: सिंडिकेट को फायदा पहुंचाने के लिए एक बार फिर रेत खदानों की नीलामी ऑनलाइन की जगह ऑफलाइन प्रक्रिया से की गई। जबकि, चार साल पहले ऑनलाइन प्रक्रिया से निविदा की गई थी। गूगल मैप से चिन्हांकित की गई 7 नई रेत खदानों के लिए शुक्रवार सुबह 11 बजे से कलेक्ट्रेट परिसर स्थित रेडक्रॉस सभागार में सीलिंग प्राइस बोली लगे आवेदनों से भरी पेटियां खोली गई। इसमें समान बोली के आवेदन ज्यादा होने पर सभी खदानों की नीलामी लॉटरी पद्धति से की गई, जिसमें प्रथम पर्ची के नाम के अनुसार खदानों का ठेका दिया गया।
यह भी पढ़ें : Raid : एक्शन मोड में NIA, CG-तेलंगाना के सात नक्सल ठिकानों में मारा छापा, 12 गिरफ्तार 17 घंटे में पूरी की गई निविदा प्रक्रिया: जिले की 7 नई रेत खदानों के लिए 2809 आवेदन आए थे। इन आवेदनों की जांच करने में ही विभाग का पसीना छूट गया। सुबह 10 बजे से सभी खदानों के लिए आवेदनों से भरी 7 पेटियां खोली गईं। इन आवेदनों की जांच के लिए विभाग ने 7 टीम बनाई थी। प्रत्येक टीम में 2 कर्मचारी एवं 2 हेल्परों की ड्यूटी लगाई गई थी। इस टीम को आवेदनों की जांच करने में ही रात 11 बजे गए। जांच में लगभग 40 आवेदन निरस्त भी किए गए, जबकि अन्य आवेदनों में जो सही पाए गए, उनमें कई समान बोली के मिले। इसके बाद इन आवेदनों के लिए लॉटरी पद्धति अपनाते हुए रात लगभग 2 बजे लॉटरी निकाली गई।
निविदा शुल्क के जरिए विभाग ने कमाए पौने तीन करोड़ विभाग ने रेत खदान के आवेदन के लिए दस हजार रुपए निविदा शुल्क रखा था। इसके अनुसार विभाग के पास 2809 आवेदन मिले हैं। नियम के अनुसार निविदा शुल्क की यह राशि लौटाई नहीं जाती, जिससे विभाग को इन आवेदनों के जरिए 2 करोड़ 80 लाख 90 हजार रुपए की आय हुई है।
नई खदानें देने से घाटों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस बार निविदा पांच साल के लिए दी गई है। इससे जहां रॉयल्टी के रूप में हर महीने राजस्व मिलेगा, वहीं रेत की आपूर्ति बढ़ने से मूल्य में भी गिरावट आएगी। इससे आम लोगों को कम मूल्य पर रेत मिल पाएगी। 2800 से ज्यादा आवेदन आए थे, तो देरी होना लाजिमी है। पुराना सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं किया गया था। इसलिए नीलामी ऑफलाइन करनी पड़ी।
-के.के. गोलघाटे, उपसंचालक, खनिज विभाग बीजापुर में नक्सल सेटिंग से रेत का खेल एनआईए को बरामद दस्तावेजों में बीजापुर जिले के भोपालपट्टनम के आसपास चल रहे रेत के अवैध कारोबार में एक नक्सली नेता के नाम बड़ी रकम का जिक्र डायरी में मिला है। बीजापुर जिले से रेत अवैध रूप से तेलंगाना सप्लाई की गई हैं। इस मामले में एक नक्सल नेता द्वारा पामेड़ के जंगलो में कुछ स्थानीय ठेकेदारों की बैठक लेने की बात भी कही जा रही हैं।