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रायपुर

Elephant Attack: वन विभाग की चेतावनी के बाद भी जंगल गया युवक, हाथी ने पटककर मार डाला

Elephant Attack: दर्जनों गांवों को हाई अलर्ट जारी करते हुए ग्रामीणों को घर से बाहर न निकलने और जंगलों की ओर न जाने की हिदायत दी थी। बावजुद इसके युवक जंगल चला गया। जहां उसे हाथी ने पटककर मार डाला।

रायपुरSep 28, 2024 / 10:41 am

Laxmi Vishwakarma

Elephant Attack: फिंगेश्वर वन क्षेत्र में दंतैल हाथी ने बनगंवा व सोरिद खुर्द के बीच घने जंगल में ग्रामीण को कुचलकर मार डाला। बताया जा रहा है कि ग्रामीण सुबह जंगल की ओर फुटू (मशरूम) निकालने गया हुआ था। इस दौरान उसका सामना हाथी से हो गया, जहां हाथी ने ग्रामीण को पटक-पटक कर मार डाला।

Elephant Attack: वन विभाग ने जारी किया अलर्ट

बता दें कि फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र में तीन दंतैल विचरण करते महासमुंद के रूट पर चल रहे थे। जिसको लेकर वन विभाग ने क्षेत्र में अलर्ट जारी किया था। घटना के बाद तीनों हाथी महासमुंद जिले की ओर निकल गए हैं।
सूचना पर वन विभाग व पुलिस टीम मौके पर पहुंची और मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए चीरघर भेजवा दिया गया। वनकर्मियों ने बताया कि तीन दंतैल हाथी फसलों के साथ-साथ मकान को भी क्षति पहुंचा चुके हैं। अब ग्रामीण को कुचल कर मार डाला है। बताया कि तीनों हाथी महासमुंद जिला में प्रवेश कर चुका है।
उनका लोकेशन अभी कक्ष क्रमांक 78, 79, 80 में विचरण कर रहा है। वनकर्मियों ने क्षेत्र के ग्राम जिवतरा, बकमा कोना, खट्टी, बनगंवा, करपी, लोहझर, तरजुंगा, गुण्डरदेही, बम्हनदेंही, नाचनबाय, मंदबाय आदि ग्रामों में अलर्ट जारी कर ग्रामीणों से घर से बाहर न निकलने और जंगल की ओर न जाने की हिदायत दी है।
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अलर्ट के बाद भी जंगल गया था ग्रामीण

उल्लेखनीय है कि चंदा दल से भटके तीन दंतैल हाथी धमतरी जिले से गरियाबंद जिले में प्रवेश कर पाण्डुका वन परिक्षेत्र के विभिन्न ग्रामों में होते हुए फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र पहुंचा था। एक दिन पहले ही तीनों दंतैल हाथी फिंगेश्वर वन परिक्षेत्र के गनियारी बांध से निकलकर कक्ष क्रमांक 35 के खुड़सा के जंगल में विचरण करते हुए महासमुंद रूट पर आगे बढ़ रहे थे।

ग्रामीणों को दी गई ये हिदायत

वनकर्मियों ने क्षेत्र के गनियारी, सिलयारी, बाहरा, खुड़सा, परसदा, लालपुर, बलरामपुर, बोरिद, सरकंडा, नागझर, सोरिद खुर्द, बनगंवा समेत दर्जनों गांवों को हाई अलर्ट जारी करते हुए ग्रामीणों को घर से बाहर न निकलने और जंगलों की ओर न जाने की हिदायत दी थी। हाई अलर्ट जारी करने के बावजूद मृतक कुमार मरकाम आज सुबह जंगल की ओर फुटू (मशरूम) निकालने गया हुआ था।

सरसीवां में फसल को नुकसान पहुंचा रहे हाथी

Elephant Attack: वहीं बात सरसीवां की करें तो पिछले दिनों भडिसार भकुर्रा गंजाईभवना के जंगलों से हाथियों का दल हरदी वन परिक्षेत्र पहुंचा है। जहां हाथियों का दल जंगलों में विचरण कर रात में खेतों में पहुंच फसलों का नुकसान पहुंचा रहे हैं। और तड़के सुबह होते ही हाथियों का दल वापस भडिसार भकुर्रा, गंजाईभवना जंगल की ओर कूच कर जाते हैं। इसके चलते किसानों की सालभर की मेहनत पर हाथी पानी फेर रहे हैं।
नारबंद गांव में रहने वाले किसान किरीत राम बरिहा ने बताया कि मेरा खेत जंगल के समीप है जहां रोज रात को हाथियों का झुंड़ पहुंचकर धान फसल के नुकसान पहुंचा रहे हैं। रातभर खेतों में उत्पात मचाने के बाद हाथियों का दल फिर से वापस भडिसार भकुर्रा, गंजाईभवना के जगंल वापस चले गए।
जबकि हरदी वन जंगल में हाथी 14-15 दिनों तक जंगल में विचरण कर वापस गंजाईभवना जंगल चले गए और पूरी रात खेतों में लगे धान के फसलों पर जम कर उत्पात जमाते हुए धान के बांलियों को पैरों से रौंद रहे हैैं। हाथियों द्वारा नुकसान पहुंचाई गई धान फसल को देख किसान रो पड़ा।

किसानों को नहीं मिल रहा फसलों के नुकसान का मुआवजा

वहीं नारबंद वन परिक्षेत्र के रहने वाले किसानों ने बताया कि गाताडीह वन परिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर द्वारा किसानों के खेतों में आने वाले हाथियों के रोक थाम करने का उपाय किया जा रहा है। वहीं डिप्टी रेंजर द्वारा वन परिक्षेत्र के लगे जंगल के गांवों में हाथी आने की जानकारी नहीं दी जाती है और न ही जंगल से लगे गांवों में मुनादी कराई जाती है। हाथियों द्वारा धान के फसलों के नुकसान का मुआवजा भी किसानों को सही समय पर नहीं मिल पाता।
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नुकसान से धान मिलने की उम्मीद नहीं

Elephant Attack: वैसे वन विभाग द्वारा हाथियों द्वारा फसलों की नुकसानी पर प्रति एकड़ 9 हजार रुपए का मुआवजा दिया जाता है, जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। जंगली क्षेत्र होने के कारण किसान साल में एक ही बार धान का उपज करते हैं। उसको भी हाथी के बार बार रौंद कर नुकसान पहुंचाया जाता है।
हाथियों ने किसान किरीत राम बरिहा के खेतों में लगे धान के फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है जिससे किरीत राम बरिहा को हाथियों द्वारा खेतों में किए गए नुकसान से धान मिलने की उम्मीद नहीं है।

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