शहर की सड़कों से लेकर कॉलोनी, मोहल्लों और सोसायटियों ने ऐसे खूंखारों का आतंक बढ़ता जा रहा है। हैरानी ये कि लोगों द्वारा सूचना देने के बावजूद निगम का अमला कुछ नहीं करता। गुढि़यारी क्षेत्र के जिस गुलमोहर सोसायटी में ढाई साल की बच्ची श्वानों के हमले से जख्मी हुई है, वह हर किसी को डराने वाली है। बताते हैं कि वह बच्ची शाम के समय अन्य बच्चों के साथ सोसायटी के अंदर ही ल रही थी और उसके परिजन घर के बाहर ही बैठे थे। उसी दौरान आवारा श्वानों की झुंड अंदर घुसते ही बच्ची पर टूट पड़े। उसे कुछ दूर तक घसीटते रहे। यह देखकर अन्य बच्चों ने चीख पुकार मचाया तब परिजन दौडे, तब जाकर बच्ची की जान बची।
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लोगों में काफी आक्रोश गुलमोहर सोसायटी की इस घटना को लेकर लोगों में काफी आक्रोश है। क्योंकि इससे पहले भी इस क्षेत्र में ऐसी घटना हो चुकी है। बच्ची के जख्मी होने के बाद सोसायटी के लोगों ने आवारा श्वानों को गेट के अंदर ही बंद कर दिया और इसकी सूचना भी निगम के 1100 नंबर पर दी। परंतु त्योहारी खुमारी में डूबा निगम का अमला 24 घंटे बाद भी नहीं पहुंचा। आवारा श्वानों को पकड़ने और नशबंदी कराने जैसे प्लान में निगम हर साल 4 करोड़ों से ज्यादा का बजट रफादफा हो जाता है और समस्याएं जस की तस हैं। मठपारा में भी एक बच्चा घायल तीन-चार दिन पहले मठपारा में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले तनय कुमार भी गली में घूमते आवारा श्वान के काटने से घायल हो गया। उस बच्चे के परिजन अब इंजेक्शन लगवाने के लिए अस्पताल का चक्कर काटने को मजबूर हैं। ऐसी घटनों से पूरे शहर में दहशत है। रात में बाइक और कार पर झुंड के झुंड में हमलावर होते हैं।
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घटना के बाद निकली निगम की डॉग कैचर टीम लोगों के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए सोमवार को सुबह 7 बजे निगम की डॉग कैचर टीम पहुंची। इस दौरान 7 श्वानों को सुबह और शाम के समय 3 श्वानों को पकड़कर बैरन बाजार अस्पताल में भेजा। जहां नसबंदी कराने का जिम्मेदारों ने दावा किया है। यह आंकडा भी जारी किया गया कि प्रतिदिन लगभग 16-17 श्वानों को पकड़ा जाता है। हर माह लगभग 425 और हर साल लगभग 5300 से अधिक श्वानों की नशबंदी कराते हैं। डॉग कैचर वाहन की सहायता से धरपकड़ जारी है। कोई भी नागरिक निदान 1100 में श्वानों से संबंधित शिकायत दर्ज करवा सकता है। गुलमोहर सोसायटी की घटना को दुखद बताते हुए निगम के स्वास्थ्य अधिकारी एके हलदार का कहना है कि श्वान नसबंदी पशु क्रूरता अधिनियम एवं एनिमल बर्थ कंट्रोल नियम-2001 के प्रावधानों अंतर्गत ही श्वानों की धरपकड़ करा रहे हैं। बैरन बाजार के पशु चिकित्सालय में श्वानों की नसबंदी के बाद एन्टी रेबीज वैक्सीनेशन भी किया जा रहा है।