इसके लिए साइबर ठग वॉयस सैंपल लेकर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी तरह वीडियो-फोटो बनाने के लिए डीपफेक का उपयोग कर रहे हैं। इससे अश्लील फोटो-वीडियो बनाते हैं। फिर इसे वायरल करने के नाम पर ब्लैकमेल करते हैं। साइबर ठगी में एआई और डीपफेक जैसे एडवांस तकनीकों का इस्तेमाल ने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है। रायपुर में भी ऐसी शिकायतें आ चुकी हैं, जिसमें दोस्त या रिश्तेदार की आवाज में कॉल करके ऑनलाइन ठगी की गई है। इसके अलावा डीपफेक से अश्लील फोटो-वीडियो बनाकर लोगों को ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई। ठगी के इन नए तरीकों को लेकर राज्य की साइबर पुलिस अलर्ट है।
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फेसबुक, इंस्टाग्राम से ले रहे लिस्ट साइबर ठग ऐसे फेसबुक, इंस्टाग्राम को ढूंढते हैं, जिनके सिक्युरिटी फीचर ज्यादा एक्टिव न हो। इनकी लिस्ट में अपने पुराने दोस्त, करीबी रिश्तेदारों का नाम निकालते हैं। इसके बाद उन्हें आपकी आवाज में कॉल करते हैं। आवाज में मिलती-जुलती होने के कारण लोगों में झांसे में आ जाते हैं। इसके बाद आरोपी इमरजेंसी में या अस्पताल में होने की जानकारी देकर आर्थिक मदद मांगते हैं। ऐसे ले रहे हैं आवाज का सैंपल साइबर ठग पहले कॉल करके आपकी आवाज को सैंपल ले लेते हैं। इस वॉयस सैंपल को एआई टूल के जरिए इसकी पिच, टोन, लेंथ, मॉडूलेशन आदि का एनालिसिस करते हैं। इसके बाद उसी पिच, टोन, लेंथ आदि का वाॅयस तैयार करते हैं। फिर खास तरह के साफ्टवेयर के जरिए फेसबुक फ्रेंडलिस्ट या फोन हैक करके मिले कॉन्टेक्ट लिस्ट के नंबरों पर संपर्क करके भ्रमित करते हैं। इमरजेंसी बताकर पैसा जमा करने को कहते हैं। इसी तरह डीपफेक के जरिए वीडियो और फोटो बनाकर भेजते हैं।
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हो चुकी है ठगी सिविल लाइन इलाके में कुछ माह पहले ऐसा ही मामला सामने आ चुका है। साइबर ठगों ने कई लोगों को निवेश में ज्यादा मुनाफा का झांसा देकर लाखों रुपए ठग लिया। इसके बाद एआई वीडियो जारी करके ठगी की जानकारी वाट्सऐप ग्रुप में शेयर किया। साइबर ठगी में एआई टूल का इस्तेमाल होने लगा है। इस तरह की ठगी करने वाले तकनीकी जानकारी होते हैं और एआई टूल्स, साफ्टवेयर आदि की जानकारी रखते हैं। ऐसी ठगी से बचने का एक ही तरीका है कि पैसा देने से पहले उस व्यक्ति को कॉल करके पूछताछ कर लें, जिनके नाम से कॉल किया जा रहा है। इससे उसकी असलियत का पता चल जाएगा। अधिकांश लोग इमरजेंसी मानकर ऐसा नहीं करते हैं। इसी के चलते ठगी के शिकार होते हैं। -कवि गुप्ता, एएसपी-साइबर क्राइम, पीएचक्यू