इसका खुलासा हाल ही में सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों से पता चला है कि विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की खरीदी में बड़ी गड़बडी हुई है। एक नगाड़ा शिक्षा विभाग ने 12 हजार 300 रुपए में खरीदा है। वहीं सामान्य तौर पर 3 से 4 हजार रुपए में बिकने वाले कैसियो की खरीदी 12 हजार 500 रुपए में की गई है। यही नहीं सामान्य तौर पर तीज त्योहारों में बजने वाले ढोलक को शिक्षा विभाग ने 6 हजार 900 रुपए में खरीदी है।
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वाद्य यंत्र के लिए हर स्कूल को मिलते हैं 75-75 हजार
बता दें कि कोरबा जिले में पीएमश्री योजना के तहत 10 स्कूलों का संचालन किया जाता है। इन स्कूलों के लिए केंद्र सरकार की ओर से म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट (वाद्य यंत्र) की खरीदी को लेकर प्रत्येक स्कूल को 75-75 हजार रुपए प्रदान किए गए थे। यह राशि राज्य परियोजना कार्यालय समग्र शिक्षा रायपुर की ओर से प्रदेश के सभी पीएमश्री विद्यालयों को आवंटित की गई थी। वाद्य यंत्रों की खरीदी संबंधित स्कूलों को अपने स्तर पर करनी थी। इसके पहले कि संबंधित पीएमश्री विद्यालय वाद्य यंत्र खरीदते कोरबा के शिक्षा विभाग की इस राशि को नजर लग गई। शिक्षा विभाग ने अपने स्तर पर वाद्य यंत्रों की खरीदी की और इसे पीएमश्री विद्यालयों को आपूर्ति कर दिया।
मंजीरा, झांझ की खरीदी में भी गड़बड़ी
पीएमश्री विद्यालयों के लिए जिन वाद्य यंत्रों की खरीदी की गई थी उसमें बांसुरी भी शामिल है। इसे शिक्षा विभाग ने 600 रुपए में खरीदा है। मंजीरा, झांझ की खरीदी में भी विभाग ने बड़ी गड़बड़ी की है। इन दोनों ही यंत्रों की खरीदी क्रमश: 1475 और 1750 रुपए में की गई है।सरकार ने छूट दिया उस पर ठेकेदार ने लगाया जीएसटी
आमतौर पर जिन वाद्य यंत्रों की खरीदी पर लगने वाले जीएसटी से सरकार ने छूट दी है उस पर भी पीएमश्री विद्यालयों में वाद्य यंत्रों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार ने जीएसटी लगा दिया है। इसमें नगाड़ा भी शामिल है। ठेकेदार ने 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया है। इसके अलावा बांसुरी, मंजीरा, झांझ, डमरू पर भी जीएसटी लगाया है।वाद्य यंत्रों की खरीदी पर एक नजर
नगाड़ा – 12300 ढोलक- 6900 गिटार- 8800 तासा- 4500 वंश-3699 डफली-3200 चटकोला- 10600 कैसिया- 12300 बांसुरी – 600 खंजिरी- 1350 मंजिरा- 1495 झांझ-1750 करतला-1750 डमरू- 2500 अल्कोजा-2950 कोरबा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी टीपी उपाध्याय ने कहा, वाद्य यंत्रों की खरीदी में गड़बड़ी सामने आने पर फर्म को पैसे लौटाने के लिए कहा गया है। संबंधित वाद्य यंत्रों की खरीदी इतनी अधिक कीमत पर कैसे हुई इसकी फाइल देखने के बाद ही कुछ कह सकता हूं। ढोलक, डमरू, नगाड़ा की कीमतों की जानकारी मुझे नहीं है।