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सूत्रों का कहना है कि प्राथमिक जांच में पीएचक्यू, खेल विभाग, ईओडब्ल्यू से लेकर फील्ड में पदस्थापना के समय की सारी जानकारी सिलसिलेवार ढंग से मिली है। इसमें बहुत से राज छिपे हुए है, जैसे किससे कितना लिया, किसे दिया, किसके काले कारनामों की जांच बंद कर उपकृत किया और दुशमनी मोल लेने पर हासिए पर डाला।यह भी पढ़ें: एडीजी के ठिकानों से मिले कई गोपनीय दस्तावेज, जिसमें सरकार के खिलाफ लिखी आपत्तिजनक बातें
गोपनीय ठिकानों की तलाश
ईओडब्ल्यू और एसीबी की टीम अब भी निलंबित एजीडी के कुछ गोपनीय ठिकानों की तलाश कर रही है। इसमें दुर्ग जिले के पद्नाभपुर और ओडिशा, क्योंझर , कटक एवं पंजाब के पटियाला के साथ दिल्ली स्थित जमीन, मकान, फ्लैट और विभिन्न कंपनियों के निवेश बताए जा रहे है। बताया जाता है कि इन सभी के संबंध में इनपुट जुटाने के लिए टीम को गोपनीय रूप से भेजा गया है।
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टेंडर से लेकर खरीदी तक के दस्तावेज
निलंबित एडीजी के घर से पुराने टेंडर, वर्कआर्डर जारी करने से लेकर सामान खरीदी तक के दस्तावेज मिले है। इसे जांच के लिए जब्त किया गया है। बताया जाता है कि इन सभी में कुछ गड़बड़झाला की आशंका है क्योकि इसमें से अधिकांश दस्तावेज में जीपी सिंह के कुछ करीबी लोग बताए जाते है। यह दस्तावेज रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर में एसपी और आईजी के पद पर रहते हुए जारी किए गए है। वहीं पीएचक्यू और पुलिस अकादमी चंदखुरी से संबंधित दस्तावेज बताए जाते है।
करीबी लोगों पर कसेगा शिकंजा
निलंबित एडीजी के काले कारनामों को पुख्ता साक्ष्य के साथ उजागर करने के लिए टीम जुटी हुई है। उनके करीबी लोगों को निशाने पर लेकर पूछताछ करने की तैयारी चल रही है। साथ ही सहयोग नहीं करने पर उन्हें भी सहअभियुक्त बनाया जा सकता है। बताया जाता है कि छापेमारी के दौरान मिले इनपुट से जांच एजेंसी के अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए है। वह अब भी अघोषित चल-अचल संपत्ति, निवेश और आयरन ओर से संबंधित दस्तावेजों की तलाश में जुटी हुई है।