यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2021: लॉकडाउन में जब कुछ बंद तब भी भक्त कर सकेंगे मातारानी के दर्शन
साथ ही माना जाता है कि देवी कूष्मांडा सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा भी प्रदान करती हैं। देवी भागवत पुराण के अनुसार संस्कृत में कूष्मांड को कुम्हड़ा कहा जाता है। कुम्हड़ा यानि कद्दू या पेठा। कुम्हड़े की तुलना ब्रह्मण्ड से की गई है। कहा जाता है कुम्हड़े के बीच में जो खाली स्थान होता है इसके चारों तरफ एक आवरण होता है देवी इसी आवरण में निवास करती हैं जिस तरह ब्रम्हांड में मध्य में निवास करती हैं। देवी वहां रहकर सभी जीवों का संरक्षण भी करती हैं। इसलिए मां कूष्मांडा को कुम्हड़े की बलि सबसे ज्यादा प्रिय है। आज के दिन मां कूष्मांडा की आराधना करने वाले लोगों को कुम्हड़े की बलि देनी चाहिए या कुम्हड़े से बना पेठा का भोग लगाना चाहिए।मां कूष्मांडा का बीज मंत्र
ऐं ह्री देव्यै नम:।
मां कूष्मांडा का पूजा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
यह भी पढ़ें: Chaitra Navratri 2021: लॉकडाउन से पहले पूजा सामग्री में भी खूब लूट, दुकानें नहीं खुलने का उठाया फायदा
पूजा विधि
रोज की भांति सबसे पहले कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को नमन करें। इस दिन पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है। ऊं कूष्माण्डायै नम: मंत्र का जाप करें। देवी को हरी इलायची अवश्य अर्पित करें। इसके साथ ही देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, मालपुए का भोग चढ़ाएं। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित करें कि उनके आशीर्वाद से आपका और आपके स्वजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। अगर आपके घर में कोई लंबे समय से बीमार है तो इस दिन मां से खास निवेदन कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करनी चाहिए। पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।