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बलौदाबाजार में रविवार को बिजली गिरने से मौके पर ही सात लोगों की मौत हो गई थी। पत्रिका ने इसकी पड़ताल की कि आखिर इन दिनों ज्यादा बिजली क्यों गिर रही है? इसे गहराई से जानने के लिए मौसम विज्ञानियों से भी बात की। बातचीत से पता चला कि प्रदेश में कुछ दिनों पहले तक बारिश पर विराम लगा हुआ था। यानी बारिश नहीं हो रही थी। इससे वातावरण काफी गर्म हो गया था। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना है। इस कारण वहां से काफी मात्रा में नम हवा आ रही है। इन्हीं हवाओं के आने से क्यूमलो निंबस यानी सीबी क्लाउड बन रहा है। ये बादल कपास की तरह होते हैं और ऊपर उड़ते हैं। गरज-चमक के साथ जो बारिश होती है, वह खतरनाक होती है। यही कारण कि इस दौरान बिजली ज्यादा गिरती है। बिजली से अगर मनुष्य किसी तरह बच भी जाए तो अपाहिज हो सकता है। याददाश्त जाने या कम होने के अलावा, शरीर के अंगों का सुन्न पड़ जाना, लकवा मारना, ऑर्गन फेल होना या बाद में हार्ट अटैक जैसी समस्या भविष्य में होने की आशंका बनी रहती है।
इसलिए गिरती है बिजली
आसमान में बादलों में पानी के छोटे-छोटे कण होते हैं, जो वायु की रगड़ के कारण आवेशित हो जाते हैं। कुछ बादलों पर पॉजीटिव चार्ज आ जाता है और कुछ पर निगेटिव। जब दोनों तरह के चार्ज वाले बादल एक-दूसरे से टकराते हैं तो इससे लाखों वोल्ट की बिजली पैदा होती है। कभी-कभी वोल्ट इतना ज्यादा होता है कि यह बिजली धरती तक पहुंच जाती है। ये खासकर पेड़-पौधे व ऊंची बिल्डिंग, मोबाइल फोन को ज्यादा आकर्षित करते हैं। इसलिए बारिश में पेड़ के नीचे खड़े होना जानलेवा है।6 से 16 किमी की ऊंचाई पर होते हैं सीबी क्लाउड
जमीन से 6 से 16 किमी की ऊंचाई पर बने सीबी क्लाउड में टेंपरेचर शून्य या माइनस डिग्री पर पहुंच जाता है। इस कारण सीबी क्लाउड में बर्फ के टुकड़े पाए जाते हैं। हवा की गति भी तेजी से ऊपर-नीचे होती रहती है। इस कारण बर्फ के टुकड़े गर्मी के दिनों में या बेमौसम बारिश होने पर ओले के रूप में गिरते हैं, लेकिन बारिश के सीजन में ऐसा नहीं होता। सीबी क्लाउड प्री या पोस्ट मानसून में ज्यादा बनते हैं। हालांकि मानसूनी सीजन में भी सीबी क्लाउड बनता है। इसके कारण ही बिजली गिरती है और लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं।टॉपिक एक्सपर्ट
सीबी क्लाउड के कारण थंडर स्टार्म यानी गरज-चमक के साथ बारिश होती है। इसी क्लाउड के कारण आकाशीय बिजली भी गिर रही है। दरअसल बारिश नहीं होने से वातावरण गर्म हो गया था और खाड़ी से नम हवा आने के कारण सीबी क्लाउड बन रहा है। ये खतरनाक होता है। इसलिए बारिश के दौरान पेड़ के नीचे भूलकर भी न खड़े हों।एमएल साहू, रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर जनरल मौसम
ओडिशा तट पर बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण प्रदेश में 10 सितंबर को प्रदेश के कुछ स्थानों पर भारी से अतिभारी बारिश हो सकती है। 11 सितंबर से वर्षा की गतिविधियों में कमी आएगी। पिछले 24 घंटे में बस्तर संभाग में मानो बादल टूट पड़े हैं। बीजापुर, भैरमगढ़ व कुटरू में अतिभारी बारिश हुई है। वहीं राजधानी में शाम 5 बजे हल्की बारिश हुई, जो देर रात तक जारी रही। प्रदेश में 1054.5 मिमी पानी गिर चुका है, जो सामान्य से 4 फीसदी ज्यादा है। पिछले 24 घंटे में छोटेडोंगर, ओरछा, कोहकामेटा में 20, नारायणपुर में 19, तोंगपाल में 18, सुकमा में 17, गांगालूर में 16, गादीरास, गीदम, बास्तानार, अंतागढ़ में 14, बडेबचेली में 13, दंतेवाड़ा, दोरनापाल , कुआकोंडा, पखांजूर व जगरगुंडा में 11, भोपालपटनम, धनोरा, नानगुर, भानुप्रतापपुर, कोंटा, कांकेर, फरसगांव में 10-10 सेमी पानी बरस गया। रायपुर में 4 सेमी पानी गिरा। अब तक यहां 827.7 मिमी बारिश हुई है, जो 8 फीसदी कम है। अब तक 900.1 मिमी पानी गिर जाना था।