CG Elephant: जंगल में पोटाश बम फेंकने वालों की खोजबीन तेज, घायल हाथी के इलाज के लिए पहुंची टीम
CG Elephant: उदंती सीतानदी के जंगलों में 21 दिन पहले जो नन्हा हाथी अपने दल के साथ मौज-मस्ती से घूम रहा था, आज तड़पते हुए दर-दर की ठोंकरे खा रहा है। वाकया 7 नवंबर का है।
हाथियों का दल से अभी नन्हे हाथी की मां 100 किमी दूर आमामोरा की पहाडिय़ों पर है। संभवत: अब वह हार मान चुकी है। बच्चे को गंवाने के बाद वह ज्यादा आक्रोशित हो सकती है। ऐसे में वन अमला प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को भी अलर्ट कर रहा है।
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छत्तीसगढ़ के मैनपुर में उदंती सीतानदी के जंगलों में 21 दिन पहले जो नन्हा हाथी अपने दल के साथ मौज-मस्ती से घूम रहा था, आज तड़पते हुए दर-दर की ठोंकरे खा रहा है। वाकया 7 नवंबर का है। कसूर सिर्फ इतना था कि उसे जोर से भूख लगी थी और सामने जो नजर आया, उसे फल समझकर खा लिया…वो पोटाश बम था और मुंह में जाते ही विस्फोट हुआ…दांत से लेकर जबड़ा तक हिल गया।
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मुंह इतना सूज गया कि खाना तो दूर, पानी भी नहीं पी सकता। घटना से पहले दल में मां और 28 हाथी साथ थे। घटना के बाद दल भाग गया, मां कुछ दिनों तक 100-200 मीटर के दायरे में रहकर निगरानी करती..फिर धीरे-धीरे 5 किलोमीटर तक दूर चली गई। वन्य जीव प्रेमियों की मानें तो नन्हे हाथी की दिन ब दिन बिगड़ती स्थिति को देख शायद मां ने भी हार मान ली या बिछड़ गई होगी।
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इधर, टाइगर रिजर्व का वन अमला 7 नवंबर से लगातार घायल नन्हे हाथी की मूवमेंट पर नजर रखे हुए है। शुरुआत में उसे इलाज देकर छोड़ दिया गया। लगा कि सेहत में सुधार होगा, पर बात बनी नहीं। हाथी का दल आमामोरा की ओर बढ़ा, लेकिन मां और बेटा पहाडिय़ों की चढ़ाई में धवलपुर से आगे नहीं बढ़ पाए। नवंबर की 13 से 17 तारीख के बीच ये धमतरी जिले के जंगलों में चले गए।
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इस दौरान गरियाबंद वन मंडल ने सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन रोका दिया। 18 तारीख को वापस गरियाबंद जिले के जंलगों में नन्हे हाथी के पद चिन्ह मिले। ट्रैकरों की पड़ताल में पता चला कि ये वही घायल नन्हा हाथी है। इससे 5 किमी दूर इसकी मां के पद चिन्ह भी मिले। अब वन अमले ने दोबारा बच्चे के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया है। पता चला कि नन्हे हाथी की सेहत बिगड़ रही है।