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छत्तीसगढ़ में माना जाता है कि दूसरे क्षेत्रीय दलों से कांग्रेस की तुलना में भाजपा को ज्यादा फायदा होता है। वैसे आदिवासी सीटों में कई तरह के समीकरण देखने को मिल रहा है। भरतपुर-सोनहत, पाली-तानाखार व अन्य तीन चार सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बड़ा असर है। पाली-तानाखार में तो गाेंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी दूसरे नम्बर पर थे। इसके अलावा बस्तर की कोंटा और दंतेवाड़ा सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का अच्छा दखल है। इस बार कांकेर और बस्तर जिले में हमर राज पार्टी का असर देखने को मिल सकता है। बस्तर संभाग की 12 सीटों में से 11 सीट आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है। अविभाजित मध्यप्रदेश में मिली थी सीएम की जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ में हर चुनाव में आदिवासी वर्ग से सीएम बनाने की मांग उठती रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश में एक बार ही किसी आदिवासी विधायक को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला था। छत्तीसगढ़ की सारंगगढ़ विधानसभा के आदिवासी विधायक नरेश चंद्र सिंह मार्च 1969 में 13 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे। राज्य निर्माण के बाद आदिवासी चेहरे के रूप में कांग्रेस ने अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि उनकी जाति हमेशा सुर्खियों में रही है।
छत्तीसगढ़ में हर चुनाव में आदिवासी वर्ग से सीएम बनाने की मांग उठती रही है। अविभाजित मध्यप्रदेश में एक बार ही किसी आदिवासी विधायक को मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिला था। छत्तीसगढ़ की सारंगगढ़ विधानसभा के आदिवासी विधायक नरेश चंद्र सिंह मार्च 1969 में 13 दिन के लिए मुख्यमंत्री बने थे। राज्य निर्माण के बाद आदिवासी चेहरे के रूप में कांग्रेस ने अजीत जोगी को मुख्यमंत्री बनाया था। हालांकि उनकी जाति हमेशा सुर्खियों में रही है।
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राज्य निर्माण के समय 34 सीट आरक्षित थी
राज्य निर्माण के बाद वर्ष 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनाव के दौरान आदिवासी वर्ग के लिए 90 में से 34 सीटें आरक्षित थी। परिसीमन के बाद आदिवासी वर्ग की सीट 34 से घटकर 29 हो गई थीं।
ऐसे समझे आदिवासी सीट का महत्व
वर्ष 2003- इस चुनाव में भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थी। प्रदेश में 50 सीटों के साथ भाजपा की सरकार बनी।
वर्ष 2008- इस चुनाव में भाजपा ने 29 में से 19 सीटें जीती और सरकार बनी थी। कांग्रेस को 10 आदिवासी सीटों पर जीत मिली थी।
वर्ष 2013- इस चुनाव में कांग्रेस को 29 आदिवासी सीटों में से 18 पर जीत मिली। हालांकि इसके बाद भी कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी थी।
वर्ष 2018- इस चुनाव में कांग्रेस ने 25, भाजपा ने 3 और जकांछ ने एक सीटों पर चुनाव जीता था। हालांकि उप चुनाव के बाद कांग्रेस की सीटें बढ़ गई थीं।
वर्ष 2003- इस चुनाव में भाजपा ने 25 और कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थी। प्रदेश में 50 सीटों के साथ भाजपा की सरकार बनी।
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