यह भी पढ़ें : CG First Phase voting : नक्सल प्रभावित क्षेत्र अबुझमाड़ में वोटिंग शुरू, मतदान करने दुध मुहे बचे को गोद में लेकर पहुंची महिला
इस बार एक रैली और सभा में शामिल होने की मजदूरी पांच सौ रुपये को बढ़ाकर छह सौ रुपये हो गई है। वह भी मात्र तीन घंटे के लिए। इसके बाद हर घंटे का सौ रुपया अतिरिक्त मिल रहा है। ग्रामीण मजदूर मिल जाने से राजनीतिक दलों का कम खर्च में काम चल जाता था, अभी धान की कटाई शुरू होने से गांव के मजदूर शहर नहीं आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में आम दिनों में जहां दो सौ रुपये और शहर में तीन सौ रुपए में मजदूर मिल जाते थे, अब चुनावी रैलियों के कारण पांच-छह सौ रुपये में भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। रैलियों में मजदूरों को खाना-पीना, नाश्ता, लाने-पहुंचाने के लिए वाहन आदि की व्यवस्था अतिरिक्त सुविधा मिल रही है।
इस बार एक रैली और सभा में शामिल होने की मजदूरी पांच सौ रुपये को बढ़ाकर छह सौ रुपये हो गई है। वह भी मात्र तीन घंटे के लिए। इसके बाद हर घंटे का सौ रुपया अतिरिक्त मिल रहा है। ग्रामीण मजदूर मिल जाने से राजनीतिक दलों का कम खर्च में काम चल जाता था, अभी धान की कटाई शुरू होने से गांव के मजदूर शहर नहीं आ रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में आम दिनों में जहां दो सौ रुपये और शहर में तीन सौ रुपए में मजदूर मिल जाते थे, अब चुनावी रैलियों के कारण पांच-छह सौ रुपये में भी मजदूर नहीं मिल रहे हैं। रैलियों में मजदूरों को खाना-पीना, नाश्ता, लाने-पहुंचाने के लिए वाहन आदि की व्यवस्था अतिरिक्त सुविधा मिल रही है।
यह भी पढ़ें : CG First Phase voting : देखिए बस्तर के सीटों में मतदान की झलकियां पांच बिंदुओं में
दिवाली में सफाई और निर्माण कार्येां के लिए नहीं मिल रहे मजदूर
जब चुनाव होते हैं तो लगभग एक माह तक वे चुनाव प्रचार, रैली, सभा आदि में शामिल होकर बिना मेहनत अच्छी खासी आमदनी हो जाती हैं। राजनीतिक दलों को रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए शहरों से ही मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ रही है। जिससे दिवाली में सफाई और निर्माण कार्येां के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। घरों में काम करने वाली बाईयां भी हर दूसरे दिन छुट्टी मार रही हैं।
दिवाली में सफाई और निर्माण कार्येां के लिए नहीं मिल रहे मजदूर
जब चुनाव होते हैं तो लगभग एक माह तक वे चुनाव प्रचार, रैली, सभा आदि में शामिल होकर बिना मेहनत अच्छी खासी आमदनी हो जाती हैं। राजनीतिक दलों को रैली में भीड़ बढ़ाने के लिए शहरों से ही मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ रही है। जिससे दिवाली में सफाई और निर्माण कार्येां के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। घरों में काम करने वाली बाईयां भी हर दूसरे दिन छुट्टी मार रही हैं।
500 रु. की जगह 300 थमाए, मजदूरों ने किया हंगामा
बीते सप्ताह नामांकन रैली के दौरान पांच-पांच सौ में एक नेता ने 300 मजदूरों को बुलाया था। जिन दलाल को मजदूरों को लाने का जिम्मा दिया गया था। उसने दो-दो सौ रुपए काट कर भुगतान किया। जिससे मजदूरों ने जमकर हंगामा किया। कुछ नाराज मजदूरों ने नेता जी से भी जाकर शिकायत कर दी, लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया। नतीजा यह हुआ कि अब मजदूरों ने उस नेता को ब्लैक लिस्टेड कर दिया।
यह भी पढ़ें : CG First Phase voting : पंडरिया में वोटिंग शुरू, भाजपा प्रत्याशी भावना बोहरा vs कांग्रेस से नीलकंठ चंद्रवंशी के बीच महामुकाबला
मजदूरों नेताओं की भी चांदी
चुनाव के समय मजदूरों के नेताओं की भी बल्ले-बल्ले हैं। वे राजनीतिक दलों से भीड़ लाने को लेकर सीधे सौदा कर रहे हैं। पहले ही वो तय कर लेते हैं कि मजदूरों की संख्या पर कितना कमीशन मिलेगा। खमतराई चावड़ी में खड़े सोहन ने बताया कि उनके मुखिया उन्हें सौ रुपये कम दिया था। इसके बाद से उन लोगों ने रैली में जाना बंद कर दिया।
मजदूरों नेताओं की भी चांदी
चुनाव के समय मजदूरों के नेताओं की भी बल्ले-बल्ले हैं। वे राजनीतिक दलों से भीड़ लाने को लेकर सीधे सौदा कर रहे हैं। पहले ही वो तय कर लेते हैं कि मजदूरों की संख्या पर कितना कमीशन मिलेगा। खमतराई चावड़ी में खड़े सोहन ने बताया कि उनके मुखिया उन्हें सौ रुपये कम दिया था। इसके बाद से उन लोगों ने रैली में जाना बंद कर दिया।