इसके बाद रामविचार नेताम, विष्णुदेव साय और पूर्व आईएएस ओपी चौधरी के नाम की भी चर्चा चल रही है। जानकारों का कहना है कि आगामी छह माह बाद लोकसभा चुनाव भी होने वाला है। इसलिए भाजपा इस बार मुख्यमंत्री के नाम पर सभी वर्गों को साधने वाले के नाम पर मुहर लगा सकती है। ताकि लोकसभा की सभी सीटें भाजपा की झोली में आ जाएं।
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डॉ. रमन सिंह – 15 साल तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। प्रशासनिक और राजनीतिक अनुभव का लाभ मिल सकता है। सभी नेताओं को एक साथ साध सकते हैं। सबसे सीनियर होने के नाते विरोध नहीं होगा।
अरुण साव – भाजपा ने कांग्रेस के ओबीसी कार्ड के काट के रूप में उन्हें चुनाव से 16 महीने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते उनकी स्वाभाविक दावेदारी बनती है। चुनाव में ओबीसी वर्ग से सबसे ज्यादा 19 प्रत्याशी चुनाव जीतकर आए हैं।
रामविचार नेताम : आदिवासी वर्ग का बड़ा चेहरा हैं। पूर्व मंत्री और राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं। आदिवासी वर्ग को साधने के लिए भाजपा इनके नाम पर मुहर लगा सकती है।
विष्णुदेव साय – पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री, खान, इस्पात और श्रम और रोजगार मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। आदिवासी वर्ग का सीनियर नेता होने के नाते उन्हें लाभ मिल सकता है।
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विष्णुदेव साय – पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री, खान, इस्पात और श्रम और रोजगार मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल चुके हैं। आदिवासी वर्ग का सीनियर नेता होने के नाते उन्हें लाभ मिल सकता है।
ओपी चौधरी – युवा और प्रशासनिक मामलों के जानकार हैं। भाजपा में दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज कर आए हैं। अमित शाह ने भी रायगढ़ की सभा में लोगों से कहा था, ओपी चौधरी को चुनाव जिताओं, इन्हें बढ़ा आदमी हम बनाएंगे।
अप्रत्याशित चेहरा – मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व कोई अप्रत्याशित चेहरा भी सामने ला सकता है, क्योंकि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी हमेशा चौंकाने वाले फैसला करता है, जो लोगों के लिए सरप्राइज होता है।