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इसके साथ ही मुख्यमंत्री के इस्तीफे के बाद देर रात महाधिवक्ता सतीश वर्मा ने भी राज्यपाल को अपना इस्तीफा दे दिया। संविदा में पदस्थ प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने देवेन्द्र नगर स्तिथि सरकारी बंगला खाली कर दिया है। साथ ही अपना इस्तीफा मुख्य सचिव को भी भेज दिया है। बताया जाता है कि अभी तीन से चार अफसर संविदा में काम कर रहे हैं। वे भी अपना इस्तीफा मुख्य सचिव को भेजने की तैयारी में हैं।
मुख्यमंत्री सचिवालय के दो निज सचिव और चार ओएसडी को तत्काल प्रभाव से कार्य मुक्त कर मूल विभाग में वापस भेज दिया गया है, इनमें ओएसडी सूरज कुमार कश्यप, राप्रसे, उमेश कुमार पटेल राप्रसे, चिन्मय वर्मा, देवेन्द्र प्रधान राप्रसे, निज सचिव सुनील चतुर्वेदी, कैलाश ठाकुर को उनके विभाग के लिए रिलीव कर दिया है। इनके अलावा मंत्रियों के पास पदस्थ कर्मचारियों को भी उनके मूल विभाग में वापस भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक सीएम के सलाहकार विनोद वर्मा, रुचिर गर्ग, प्रदीप शर्मा और हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक सुदीप ठाकुर ने भी अपना इस्तीफा भेज दिया है।
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कांग्रेस सरकार ने बढ़ाई थी संविदा डॉ. शुक्ला 1986 बैच के आईएएस अफसर है। रिटायर होने के बाद उन्हें वर्ष 2020 में संविदा नियुक्ति दी गई थी। इसके बाद संविदा नियुक्ति की अवधि बढ़ती रही। उनकी संविदा 31 मई 2023 को खत्म हो गई है। इसके बाद सरकार ने संविदा अवधि को एक साल के लिए फिर बढ़ा दिया था। अवधि पूरा होने से पहले ही उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया।
निगम, मंडलों से भी इस्तीफे शुरू कांग्रेस की हार के बाद निगम, मंडल, प्राधिकरणों के पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा देना शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत आरडीए से हुई है। आरडीए डायरेक्टर राजेन्द्र बंजारे ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यहां अध्यक्ष समेत पांच संचालक हैं। इसके अलावा अन्य निगम-मंडलों में भी इस्तीफा देने की प्रक्रिया तेज हो गई है।