टाटीबंध चौक में इस भरी बरसात में भी हजारों वाहन चालकों को सुविधा नहीं मिल पाई। उन्हें जान जोखिम में डालकर आवाजाही करना पड़ रहा है। जबकि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोक निर्माण विभाग की समीक्षा करते हुए मिक्स मटेरियल से सड़कों के गड्ढों को भरने कहा था। परंतु न तो पीडब्डल्यूडी के इंजीनियर और न ही नेशनल हाइवे के क्षेत्रीय इंजीनियर एसी कमरे छोड़ सड़कों पर निकले। नतीजा, 500 से 1000 मीटर का दायरा जान हथेली में लेकर पार करना पड़ रहा है।
यह भी पढ़ें
हॉस्टल छात्र की मौत पर भाजपा ने उठाए सवाल, कहा- अब तक जिला प्रशासन को भनक नही…FIR करवाने की मांग
ब्रिज के चारों तरफ की सड़क खस्ताहाल, लहराते हुए गड्ढे को पार कर वाहन बढ़ते हैं आगे करोड़ों रुपए में टाटीबंध ओवरब्रिज बन तो गई, लेकिन उस ब्रिज के चारों तरफ की रोड खस्ताहाल से नहीं उबर पाई है। नेशनल हाइवे ने इस ब्रिज का निर्माण कराया है, जिसके दो हिस्से भिलाई तरफ से भनपुरी और एम्स हास्पिटल तरफ को खोला नहीं है। केवल सरोना से भिलाई ओवरब्रिज पर आवाजाही हो रही है, परंतु इसके दोनों तरफ उतरते ही लहराते हुए गड्ढायुक्त हिस्से को पार करते हुए वाहन आगे बढ़ते हैं। ओवरब्रिज के बाजू की सर्विस रोड से मिनी बसों और बसें लहराते हुए निकलती हैं। भारी-भरकम ट्रकों कब अपनी चपेट में कार और बाइक वालों को ले लें कुछ कहा नहीं जा सकता है। अभी दो तरफ ओवरब्रिज बंद ओवरब्रिज के नीचे की सड़कें खास्ताहाल होने के कारण जिस समय भारी-भरकम ट्रक निकलते हैं, तो उस दौरान कार और दोपहिया चालक कब चपेट में आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है। टाटीबंध चौक में पहले जैसा ही खतरा बना हुआ है। क्योंकि भिलाई तरफ से आने वाले ट्रैफिक के लिए भी भनपुरी और एम्स तरफ का ओवरब्रिज बंद है।
यह भी पढ़ें
CG Politics: छत्तीसगढ़ के 50 विधानसभा सीटों पर सर्व आदिवासी समाज लड़ेगी चुनाव, संरक्षक अरविंद नेताम ने दी जानकारी
खतरनाक हो चुका है टाटीबंध से बदतर स्थिति संतोषीनगर ब्रिज से आगे पचपेड़ीनाका जाने वाले रास्ते की हो चुकी है। यहां ओवरब्रिज के सर्विस रोड की बिजली अंडरग्राउंड करने के लिए खुदाई चौक तक की गई। फिर मिट्टी और मुरम डालकर 500 मीटर दायरे को छोड़ दिया गया। वह हिस्सा इतना खतरनाक हो चुका है कि पुलिस वाले गड्ढों में स्टॉपर रख दिए हैं। टाटीबंध ओवरब्रिज चौक में निर्माण चल रहा है। ब्रिज का निर्माण पूरा हो गया है। बारिश की वजह से सड़क खराब हुई है। गड्ढों का मरम्मत करने के लिए ठेकेदार को निर्देशित किया गया है।
ए. राममूर्ति, प्रोजेक्ट इंजीनियर, एनएचएआई
यह भी पढ़ें