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Ayushman Card: इलाज में होती थी दिक्कतें
Ayushman Card: अस्पताल प्रबंधन ने सभी एचओडी, अकाउंट, कैश व आयुष्मान शाखा को पत्र लिखकर नए नियम के अनुसार बिल बनाने को कहा है। नियम नहीं होने के कारण कई बार स्टाफ को बिल बनाने में दिक्कत होती थी। इससे कई बार मरीज, उनके परिजन व स्टाफ के बीच विवाद की स्थिति बनती थी। दरअसल बिल का डिटेल वार्डों में बनता है। यह डिस्चार्ज होने के पहले प्रभारी स्टाफ नर्स बनाती है। इसके बाद सीएमओ के हस्ताक्षर के बाद बिलिंग शाखा में कैश पटाना होता है। Ayushman Card: सबसे आखिर में सेंट्रल डिस्चार्ज काउंटर से मरीज का डिस्चार्ज हो जाता है। अधीक्षक डॉ. एसबीएस नेताम ने सभी एचओडी व अन्य शाखा को भेजे पत्र में कहा है कि प्रदेश के कई मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं होता। ऐसे में उनके इलाज में परेशानी होती है। ऐसे ही दूसरे प्रदेश के मरीजों को आयुष्मान कार्ड का लाभ नहीं मिलता इसलिए उन्हें कैश देकर इलाज कराना पड़ता है। शुल्क निर्धारित नहीं होने के कारण इलाज में दिक्कतें होती हैं।
Ayushman Card: दूसरे राज्यों के मरीजों को आयुष्मान का लाभ नहीं
दूसरे प्रदेश के मरीजों को आंबेडकर समेत दूसरे सरकारी व निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना का लाभ नहीं मिलता। दरअसल इलाज के क्लेम का पैसा स्टेट नोडल एजेंसी के माध्यम से मिलता है। यानी ये प्रदेश सरकार के अधीन है। कोई ओडिशा या मध्यप्रदेश के मरीज का फ्री इलाज नहीं हो सकता है, क्योंकि क्लेम का भुगतान मध्यप्रदेश व ओडिशा सरकार को करना होगा। ऐसे भुगतान के लिए प्रदेश व दूसरे राज्यों के सरकार के बीच कोई एमओयू भी नहीं हुआ है। इसलिए फ्री इलाज में परेशानी हो रही है। जबकि राजधानी समेत प्रदेश के ज्यादातर निजी अस्पतालों में ओडिशा की बीजू स्वास्थ्य योजना से ओडिशा के मरीजों का फ्री इलाज हो रहा है, क्योंकि निजी अस्पतालों का ओडिशा सरकार के साथ एमओयू हुआ है।
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