यह भी पढ़ें
Transport Strike : रायपुर में पेट्रोल-डीजल मिलना बंद ! हिट एंड रन कानून को लेकर हड़ताल पर उतरे टैंकर चालक…
इसके तहत 10 जिलों के जनजाति के ढाई हजार युवाओं को स्वरोजगार की ट्रेनिंग की जाएगी। इस प्रोजेक्ट को फिलहाल कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट के डॉ. संजय कुमार लीड कर रहे हैं। वे जनजाति युवाओं के लिए रोजगार से जुड़े डेटा उपलब्ध कराएंगे। फिर फाइनेंस डिपार्टमेंट के डॉ. सुनील कुमेटी के नेतृत्व में ऐप्लीकेशन डेवलप किया जाएगा। इसमें विजिट करने पर युवाओं को सरकार द्वारा उनके लिए लागू की गई योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। वहीं, ट्रेनिंग प्रोग्राम में सिखाया जाएगा कि कैसे अपने आसपास मौजूद संसाधनों के दम पर बड़े उद्योग खड़े किए जा सकते हैं। इससे युवा तो सक्षम बनेंगे ही, रिमोट एरिया में डेवलपमेंट भी होगा। यह भी पढ़ें
हजारों यात्रियों को मिली बड़ी राहत… निगम के हाथों हुई पार्किंग की जिम्मेदारी, अवैध वसूली और दादागिरी अब खत्म
शैल चित्रों का भी होगा अध्ययन : डॉ. कुमेटी ने बताया, सोशल साइंस डिपार्टमेंट को कई प्रोजेक्ट मिले हैं। इनमें से एक रॉक पेंटिंग्स का अध्ययन भी है। इसमें हम छत्तीसगढ़ में प्रागैतिहासिक काल से ऐतिहासिक काल तक के शैल चित्रों का अध्ययन करेंगे। नए शैल चित्र स्थलों को खोजा जाएगा। हम ये भी बताएंगे कि कैसे ऐतिहासिक काल तक आदिवासी उन चित्रों का इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में कर रहे हों। चाहे वह साड़ियों के फाल में दिखने वाले चित्र हों या घरों के बाहर बनाए जाने वाले चित्र। इससे छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम संस्कृति सामने आएगी। ये भी पता चलेगा कि मानव विकास के इतिहास में छत्तीसगढ़ कहां खड़ा था!