साथ ही कहा कि रीपा में खर्च हुई राशि का एडवोकेट जनरल से ऑडिट कराएंगे। इस पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने जांच की समय-सीमा तय करने की बात कहीं, तो डिप्टी सीएम ने तीन महीने में जांच पूरी कर लेने की बात कहीं। प्रश्नकाल में भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने पूछा, नवम्बर 2023 तक कितने रीपा बनाने का लक्ष्य था और किस-किस-किस मद से राशि दी गई? इस पर डिप्टी सीएम ने बताया कि 300 रीपा स्थापित करने का लक्ष्य था और उसे पूरा किया गया।
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2 करोड़ के काम के लिए बनाई 80 लाख की प्रोजेक्ट रिपोर्ट विधायक कौशिक ने रीपा के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के कई उदाहरण भी गिनाएं। उन्होंने कहा जशपुर में दो करोड़ के काम के लिए 80 लाख रुपए में प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई गई। कोरिया में 50 लाख रुपए खर्च किए गए। दंतेवाड़ा में एक रीपा के लिए 90 लाख
रुपए की खरीदी की गई। पूरे रीपा में 600 करोड़ की गड़बड़ी है। रीपा के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, रीपा के लिए डीएमएफ, एसबीएम जैसे मदों से भी पैसा दिया गया है। इसकी जांच होनी चाहिए।
डिप्टी सीएम शर्मा ने इस बात के संकेत दिए है कि रीपा बंद नहीं होंगे। उन्होंने कहा, इसका काम पूरा हो गया है। इनका उपयोग होना चाहिए। किसी भी काम की नीयत और व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। इसकी समीक्षा करने की जरूरत है। इस पर कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने कहा, रीपा को लेकर कलेक्टरों को निर्देश दिए जाए कि जो काम पहले से चल रहे हैं, उन्हें बंद नहीं किया जाए।
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दबाव में हैं सरपंच भाजपा विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा, बहुत से कामों का अभी तक भुगतान नहीं हुआ है। सरपंचों पर दबाव डालकर हस्ताक्षर कराया गया है। भुगतान नहीं होने से सरपंच दबाव में हैं। उन्होंने कहा, उस समय न खाता न बही, जो मंत्री बोले वही सही होता था। सरपंचों के राशि के भुगतान की दिशा में भी पहल करनी चाहिए।