यह भी पढ़ें: CG Medical News: प्लेसेंटा की एमनियन झिल्ली से ठीक करेंगे झुलसे हुए मरीजों की स्किन, तैयारी शुरू… डॉक्टराें का कहना है कि डायबिटीज तो बीमारी है ही, ये दूसरी बीमारियों की भी जड़ है। बच्चों में डायबिटीज के बढ़ते केस चौंकाने वाले हैं। इसकी मुख्य वजह बदलती जीवनशैली, आरामतलब जिंदगी व मोबाइल फोन की लत है।14 नवंबर को विश्व डायबिटीज दिवस है। इस मौके पर पत्रिका ने विशेषज्ञों से बात की तो चौंकाने वाली बात सामने आईं। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि अनियंत्रित डायबिटीज से कोरोनरी आर्टरी या हार्ट को खून पहुंचाने वाली मुख्य नसों में कोलेस्ट्रॉल व कैल्शियम जम जाता है।
इससे नसें संकरी हो जाती हैं। इससे हार्ट को खून की सप्लाई नहीं हो पाती। इससे मरीज की बायपास सर्जरी की नौबत आ जाती है। ऐसे मरीजों में बायपास सर्जरी भी आसान नहीं है। लंबे समय तक ब्लड में शुगर लेवल 180-200 हो तो यह खतरनाक संकेत है। ये समस्या न केवल जन्मजात डायबिटीज के मरीजों में होता है, बल्कि टाइप दो के मरीजों में भी देखने को मिलता है।
गांव-शहर की बीमारी की सीमा भी खत्म
पहले डायबिटीज को शहर की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन ये ट्रेंड पूरी तरह बदल चुका है। अब बदलती जीवनशैली व आरामतलब जिंदगी से ज्यादातर लोग डायबिटीज की गिरफ्त में आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या 30 से 35 लाख के करीब है। यह देश में कुल मरीजों की 3 फीसदी से ज्यादा है। नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. कृष्णकांत साहू ने कहा ब्लड में अनियंत्रित शुगर से हार्ट में कोलेस्ट्रॉल व कैल्शियम जम जाता है। इससे कोरोनरी आर्टरी संकरी हो जाती है। इससे हार्ट को पर्याप्त खून नहीं मिल पाता। डायबिटीज के मरीजों की बायपास सर्जरी भी आसान नहीं होती। बेहतर है जीवन संतुलित रखें। अगर डायबिटीज हो जाए तो इसे नियंत्रित रखें।
नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा अनियमित जीवनशैली, आरामतलब जीवन, स्क्रीन टाइम बढ़ने व जंक फूड की लत से न केवल बच्चे बल्कि युवाओं में भी डायबिटीज के काफी केस आ रहे हैं। ओपीडी में रोजाना 400 में 70 से ज्यादा डायबिटीज के केस होते हैं। कुछ युवाओं को इंसुलिन की जरूरत भी होती है, जो खतरनाक संकेत है।