नेहरू मेडिकल कॉलेज में हर माह वॉक इन होता है ताकि खाली पदों को भरा जा सके। पहली बार कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी विभाग के लिए 12 असिस्टेंट प्रोफेसर, परयूजिनिस्ट व फिजिशियन असिस्टेंट के 3-3 पदों पर भी भर्ती की जाएगी। सीटीवीएस के असिस्टेंट प्रोफेसरों में क्रिटिकल केयर के 3, मेडिसिन के 2, पीडियाट्रिक के 3, एनीस्थीसिया के 2 व कार्डियक एनीस्थीसिया के दो पदों पर भर्ती की जाएगी।
वहीं 3 सीनियर रेसीडेंट की भर्ती भी की जाएगी। दूसरे विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 56, सीनियर रेसीडेंट के 106 पदों पर भर्ती की जाएगी। सभी भर्ती संविदा पर की जाएगी। कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसरों को 95 हजार, एसोसिएट को 1.55 लाख व प्रोफेसरों को हर माह 1.90 लाख वेतन दिया जा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेज व अस्पतालों की तुलना में ये कम है। यही तर्क देकर ज्यादातर डॉक्टर ज्वाइन करने से बच रहे हैं।
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शपथपत्र व एनपीए का विवाद भी चरम पर
नेहरू समेत प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में शपथपत्र व एनपीए का विवाद चरम पर है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान योजना में पंजीकृत निजी अस्पतालों से ये शपथपत्र मांगा है कि उनके अस्पताल में कोई भी सरकारी डॉक्टर सेवाएं नहीं दे रहे हैं। ये आर्डर विभाग के लिए गले का फांस बन गया है। दरअसल इसी विवाद के बाद डीकेएस, आंबेडकर अस्पताल, राजनांदगांव, दुर्ग व रायगढ़ मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ी है। गुरुवार को आंबेडकर में जनरल सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसएन गोले ने नौकरी छोड़ दी है। उन्होंने नवा रायपुर स्थित निजी मेडिकल कॉलेज ज्वाइन किया है। डीकेएस में दो यूरो सर्जन, एक न्यूरो सर्जन व एक न्यूरोलॉजिस्ट इस्तीफा देकर चले गए हैं। दूसरा विवाद एनपीए को लेकर है। शासन ने एनपीए लेने वाले डॉक्टरों के नाम सार्वजनिक कर दिया है। इस विवाद में भी नए डॉक्टर ज्वाइन नहीं करना चाहते।