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जंगल सफारी डीएफओ हेमचंद पहारे ने बताया कि नंदनवन जू में शाकाहारी वन्यप्राणियों के बाड़े में 25 नवंबर को चौसिंगा की अचानक मृत्यु की खबर मिली है, जिसकी प्रारंभिक जांच में उसका स्वास्थ्य खराब होना पाया गया था। इसके बाद पशु चिकित्सकों ने अन्य चौसिंगा का स्वास्थ्य परीक्षण कर उपचार शुरू किया। इसके बाद भी अन्य चौसिंगा की हालत खराब होते चली गई। फिर अलग-अलग दिन 17 चौसिंगा की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि चौसिंगा के मौत के पीछे के सही कारणों का पता लगाने बिसरा जांच के लिए भेजा गया है। जू के बाड़े में 24 चौसिंगा में से केवल 7 चौसिंगा बचे हैं, जिसे वन्यप्राणी पशु चिकित्सकों ने नेतृत्व में सुरक्षित स्थानों पर अलग रखकर इलाज किया जा रहा है, ताकि स्वस्थ वन्यप्राणियों को रोगी वन्य प्राणियों से अलग करके उनके जीवन की रक्षा की जा सके।
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उत्तरप्रदेश भेजा गया बिसरा घटना के बाद केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशों का पालन करते हुए जंगल सफारी के अधिकारियों ने बिसरा और खून जांच के लिए सैंपल आईवीआरआई बरेली (उत्तरप्रदेश) भेजा है। साथ ही कुछ सैंपल कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा भेजा गया है। परीक्षण रिपोर्ट मिलने के बाद मृत्यु के कारणों का पता चल सकेगा।
एक-दूसरे पर आरोप
जंगल सफारी में चौसिंगा की मौत के बाद बवाल हो गया है। अधिकारी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। बताया जाता है कि वन्यप्राणी चिकित्सक डॉक्टर राकेश वर्मा छुट्टी पर हैं। इसकी स्वीकृति नहीं मिली थी, फिर भी सीडब्ल्यूएलडब्लयू से स्वीकृति लेकर अवकाश पर चले गए। अधिकारियों ने पीसीसीएफ से इसकी शिकायत की है।
बिलासपुर व मारवाही से बुलाए गए वन्यप्राणी चिकित्सक सीसीएफ सीतानदी उदंती एम. मर्सीबेला ने बताया कि जंगल सफारी में वन्यप्राणी चिकित्सक नहीं होने के कारण पशु चिकित्सा महाविद्यालय अंजोरा दुर्ग से डाक्टर जसमीत और डॉ. एसएल अली से संपर्क किया गया है। उनसे बीमार चौसिंगा की चिकित्सा के लिए मार्गदर्शन लिया गया है। साथ ही पशु चिकित्सा अधिकारी कानन पेंडारी डॉ. चंदन तथा पशु चिकित्सा अधिकारी मरवाही डॉ. अजय पाण्डेय को भी बुलाया गया है। उनके उपचार के चलते 7 वन्यप्राणियों के जीवन की रक्षा की जा सकी। नीलगाय व काला हिरण के बाड़ों की भी चिकित्सक दल द्वारा निगरानी की जा रही है।
कब-कब हुई मौत
25 नवंबर – 5 चौसिंगा
26 नवंबर – 3 चौसिंगा
27 नवंबर – 5 चौसिंगा
28 नवंबर – 2 चौसिंगा
29 नवंबर – 2 चौसिंगा