कर्मचारियों के आंदोलन को बल व छल पूर्वक कुचलना, समय-समय पर केंद्र के समान महंगाई भत्ता के लिए तरसाना, लाखों का लंबित डीए एरियर्स खा जाना, संविदा कर्मचारियों, अनियमित कर्मचारी का नियमितीकरण, स्वास्थ्य कर्मचारियों की सेवा समाप्ति, सातवें वेतनमान की अंतिम किश्त जारी न करना, कर्मचारियों अधिकारियों की मांगों की लगातार अनदेखी जैसे अव्यवहारिक व अदूरदर्शी निर्णयों ने सरकार को इस बार भी बदलने में अपनी महती भूमिका अदा की है।
कर्मचारी संगठनों ने पूरे 5 वर्ष तक सत्तारूढ़ रही सरकार को उनके घोषणा पत्र में किए गए वायदों को पूरे करने की गुहार लगाती रही। विगत सरकार द्वारा चुनावी घोषणा पत्र के वायदे अनुसार दैनिक वेतन भोगी व संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण, मध्यान्ह भोजन कर्मचारी, सफाई कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं की मांगों का निराकरण,प्राचार्य व व्याख्याताओं सहित विभिन्न पदों पर वर्षों से लंबित पदोन्नति सहित लगभग सभी मांगो पर विगत सरकार का रवैया लगातार दमनात्मक उदासीन व नकारात्मक रहा है। ऐसे में अब प्रदेश में बनने जा रही नयी भावी सरकार से उम्मीदें बढ़ गई है।