रायगढ़

हाथियों को न हो कोई परेशानी इसलिए तैयार हो रहा ऐसा रेल लाइन, पढि़ए पूरी खबर…

– इस रेलमार्ग पर दीपिका, कटघोरा, सिंधुगढ़, पसान, कोरबा जैसे स्टेशन शामिल होंगे

रायगढ़Jan 11, 2019 / 01:10 pm

Shiv Singh

हाथियों को न हो कोई परेशानी इसलिए तैयार हो रहा ऐसा रेल लाइन, पढि़ए पूरी खबर…

रायगढ़. ईस्ट रेल कॉरीडोर के फेस एक का काम तेजी के साथ जारी है। इस निर्माण कार्य को २०२० तक पूरा करने का लक्ष्य दिया गया है। रेल लाइन निर्माण के लिए छग ईस्ट रेलवे लिमिटेड ने डीपीआर तैयार कर लिया है। इस पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 1555 करोड़ रुपए की लागत आने की बात कही जा रही है। अभी खरसिया से धरमजयगढ़ तक ईस्ट रेल कॉरीडोर फेस एक का काम खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच तेजी से चल रहा है। 132 किमी लंबी इस रेल लाइन के लिए 3055 करोड़ की लागत से रेल पटरिया बिछाई जा रही है।
फेस एक का काम सितंबर 2018 तक पूरा होने की बात कही जा रही थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध व टेक्नीकल पेंच आने से इस कार्य में भी देरी हो रही है। जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) ने ईस्ट रेल कॉरीडोर ने दोनों रेल लाइन के निर्माण को 2020 तक पूरा करने का टारगेट रखा है। बताया जा रहा है कि खरसिया से कोरबा और गेवरा रोड से पेंड्रा रोड तक दो रेल लाइन के बन जाने से इस क्षेत्र के आर्थिक विकास होने के आसार हैं। इस रेलमार्ग पर दीपिका, कटघोरा, सिंधुगढ़, पसान, कोरबा जैसे स्टेशन शामिल होंगे। रेल लाइन का उपयोग मुख्य रूप से कोयला परिवहन के लिए किया जा रहा है, लकिन इसके साथ ही साथ इस लाइन में पैसेंजर ट्रेनों के संचालन की भी बात कही जा रही है।
बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र में जहां काफी मात्रा में जंगल का क्षेत्र आ रहा है तो वहीं भारी संख्या में बड़े-बड़े उद्योग भी स्थापित हैं। इससे रेलवे मंत्रालय और स्टेट गर्वमेंट दोनों को भारी भरकम राजस्व मिलेगा। इस रेल लाइन के विस्तार के लिए राज्य से लेकर केंद्र तक की पूरी नजर है। निर्माण की लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है।
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निर्माण के दौरान हाथियों के दल को विचरण करने में किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो इसके लिए वन विभाग का अमला भी मदद में जुटा हआ है। रायगढ़ व धरमजयगढ़ वन मंडल के अधिकारियों का कहना है कि विकास के लिए रेल लाइन का विस्तार काफी आश्वश्यक है, लेकिन जिस तकनीक से निर्माण हो रहा है उससे हाथियों व जंगल के अन्य वन्य प्राणियों को परेशानी नहीं होगी। यह काफी अहम बात है।

निगरानी के साथ तेजी से हो रहा है निर्माण
इस रेल मार्ग के विस्तार का कार्य काफी तेजी से किया जा रहा है। इसके निर्माण में कहींं भी कोई चूक न होने पाए इसके लिए निगरानी दल व एजेंसियां भी पूरी तरह से काम कर रही हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि एक बार निर्माण होने के बाद आरओवी के ऊपर जंगल का स्वरूप दे दिया जाएगा तो उसके बाद उसे पुन: निर्माण करने में परेशानी आएगी। इसलिए इस तकनीकी के तहत काम किया जा रहा है, जिससे कि भविष्य में केवल सुधार की ही कवायद की जा सके।

आरओबी के नीचे से गुजरेंगी ट्रेनें, ऊपर से गुजरेगा हाथियों का दल
धरमजयगढ़ से कोरबा के लिए विस्तारित रेल लाइन में जंगली क्षेत्र में बनाए जा रहे पांचों आरओबी हाथी को देखते हुए बनाए जा रहे हैं। यह इस टेक्नोलॉजी से बनाए जा रहे हैं कि हाथियों को उनके विचरण के दौरान कहीं से कोई अवरोध न होने पाए। इससे हाथियों का दल जहां नीचे गुजरेगा वह आरओबी के ऊपर से ट्रेन गुजारी जाएगी तो जहां हाथियों का दल ऊचाई वाले क्षेत्र से गुजरेगा वहां ट्रेन को आरओबी के नीचे से गुजारा जाएगा। इससे ट्रेन हाथियों के विचरण में कहीं से भी अवरोधक नहीं बनेगी।

धरमजयगढ़ में तीन, रायगढ़ में बनेंगे दो आरओबी
वन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक कोरबा से लेकर धरमजयगढ़ को जोडऩे वाली इस रेल लाइन में कुल पांच एलीफैंट फ्रेंडली आरओबी व अंडर ब्रिज बनाए जा रहे हैं। इसमें तीन रेलवे ब्रिज धरमजयगढ़ में बनेंगे, जिसमें दो ओवर ब्रिज होंगे जो कि ३६९ आरएफ के धरमजयगढ़ और ४२० आरएफ क्रौंधा के पास बनेगा। इसके साथ ही यहां एक अंडर रेल ब्रिज बनेगा जिसमें रेल जमीन के नीचे से गुजरेगी। इसी तरह के दो रेल अंडर ब्रिज रायगढ़ वनमंडल के घरघोड़ा क्षेत्र में भी बनाए जा रहे हैं। इसके निर्माण का कार्य तेजी से चल रहा है। इसमें अंडर ब्रिज का निर्माण पूरा हो गया है। वर्तमान में वहां नीचे रेलवे ट्रैक व ऊपर ब्रिज को मिट्टी से पाटने का कार्य चल रहा है। जैसे ही यह काम पूरा हो गया ब्रिज के ऊपर पेड़ पौधे लगा कर उसे जंगल का स्वरूप दिया जाएगा।

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