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Allahabad High Court: लखनऊ डीएम के नेतृत्व वाली समिति को आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का निरीक्षण करने का जाने क्यों दिया निर्देश

मामले में चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने डीएम के नेतृत्व वाली समिति को राजधानी में ऐसे 16 स्कूलों का निरीक्षण करने और 18 अप्रैल को इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया। मामले में पीठ गोमती नदी बैंक के निवासियों द्वारा सचिव गिरधर गोपाल के माध्यम से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानदंडों के उल्लंघन में चल रहे स्कूलों का मुद्दा विशेष रूप से उठाया गया।

प्रयागराजApr 01, 2022 / 02:45 pm

Sumit Yadav

Allahabad High Court: लखनऊ डीएम के नेतृत्व वाली समिति को आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का निरीक्षण करने का जाने क्यों दिया निर्देश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में संचालित स्कूलों के सुरक्षा मानक और उनके द्वारा किये नियमों के उल्लंघन के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी को इस संबंध में निरीक्षण करने और रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। मामले में चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने डीएम के नेतृत्व वाली समिति को राजधानी में ऐसे 16 स्कूलों का निरीक्षण करने और 18 अप्रैल को इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।
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मामले में पीठ गोमती नदी बैंक के निवासियों द्वारा सचिव गिरधर गोपाल के माध्यम से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानदंडों के उल्लंघन में चल रहे स्कूलों का मुद्दा विशेष रूप से उठाया गया। याचिका में 16 ऐसे स्कूलों के नाम प्रस्तुत किए गए जो कथित तौर पर मानदंडों के विपरीत चल रहे हैं और इन 16 स्कूलों में से एक स्कूल लखनऊ पब्लिक कॉलेजिएट, जोपलिंग रोड, बटलर कॉलोनी, लखनऊ का नाम विशेष रूप से सरकार द्वारा संदर्भित किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह पिछले 2-3 वर्षों से किसी भी प्राधिकरण की अनुमति के बिना एक अस्थायी टिन-शेड में चल रहा है।
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आगे निवेदन किया गया कि वर्तमान में वहां लगभग 400 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं, जो विद्यालय चलाने के लिए निर्धारित मानकों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए इस स्कूल का उदाहरण दिया कि याचिका में नामित अन्य स्कूल भी इस उद्देश्य के लिए निर्धारित विभिन्न मानकों के उल्लंघन में चल रहे हैं। इस पृष्ठभूमि के खिलाफ अदालत ने कहा कि राज्य का यह कर्तव्य है कि वह न केवल ऐसे स्कूलों की गतिविधियों की निगरानी करे बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि ये स्कूल उनके कामकाज के संबंध में बनाए गए वांछित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चल रहे हैं।
मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने अब ऐसे स्कूलों के निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट मांगी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये स्कूल संबंधित दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

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