सेल्फ-स्टडी से पहली बार में बने जज
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि अहद को यह कामयाबी पहली कोशिश में मिली है। वह भी सेल्फ स्टडी के भरोसे और बिना किसी कोचिंग के भरोसे। दरअसल, अहद के पिता अहद के पिता साईकिल रिपेयरिंग की दुकान से परिवार का खर्च चलाते हैं। मां अफसाना गांव के महिलाओं के कपडे सिलकर बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाती थीं।
आपको ये जानकार हैरानी होगी कि अहद को यह कामयाबी पहली कोशिश में मिली है। वह भी सेल्फ स्टडी के भरोसे और बिना किसी कोचिंग के भरोसे। दरअसल, अहद के पिता अहद के पिता साईकिल रिपेयरिंग की दुकान से परिवार का खर्च चलाते हैं। मां अफसाना गांव के महिलाओं के कपडे सिलकर बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाती थीं।
अब अहद ने PCS J की परीक्षा पास कर अपने मां-बाप का नाम रौशन किया है। साइकिल का पंक्चर बनाने वाले के बेटे की कामयाबी पर प्रयागराज के लोग फूले नहीं समा रहे हैं। कहीं उसकी कामयाबी का जश्न मनाया जा रहा है तो कोई खास अंदाज में अहद और उसके परिवार को मुबारकबाद दे रहा है। अहद को पढ़ा-लिखा कर कामयाब बनाने का आइडिया उनकी मां अफसाना को फिल्म ‘घर-द्वार’ से आया। इस फिल्म को देखने के बाद ही उन्होंने तय किया कि वह लेडीज कपड़ों की सिलाई कर बच्चों को पढ़ाएंगी। बता दें कि अहद प्रयागराज के नवाबगंज इलाके के छोटे से गांव बरई हरख के रहने वाले हैं।
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अहद ने माता-पिता को दिया अपने कामयाबी का श्रेय
अहद अहमद चार भाई बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। उनके बड़े भाई सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन चुके हैं तो छोटा भाई एक प्राइवेट बैंक में ब्रांच मैनेजर है। अहद ने एक न्यूज चैनल को बताया है कि माता-पिता ने उन्हें न सिर्फ संघर्ष में पाल पोसकर इस मुकाम तक पहुंचाया है, बल्कि हमेशा ईमानदारी और नेक-निय्यती से काम करने की नसीहत भी दी है।