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नाबालिग को 32 सप्ताह का गर्भ रखने की इजाजत, कोर्ट ने कहा-गर्भपात पर महिला को निर्णय लेने का अधिकार

Allahabad High Court order: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मेरठ की 15 वर्षीय गर्भवती रेप पीड़िता के मामले में महत्वपूर्ण आदेश दिया है।

प्रयागराजJul 26, 2024 / 09:30 am

Aman Pandey

Allahabad High Court Order: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ने कहा कि यह महिला का अपना निर्णय है कि वह गर्भपात कराना चाहती है या गर्भ को धारण करना चाहती है। हालांकि, ऐसे मामले में जोखिम पर भी विचार की जरूरत है।
न्यायमूर्ति शेखर बी सर्राफ एवं न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल की खंडपीठ ने पीड़िता और उसके अभिभावकों से बात की। इसके बाद 32 सप्ताह के गर्भ को रखने की इजाजत दे दी। कोर्ट ने कहा कि एक महिला को खुद यह निर्णय लेना होगा कि उसे गर्भ रखना है या नहीं। यह फैसला कोई दूसरा नहीं लेगा। महिला की सहमति ही सबसे ऊपर है।

मौलिक अधिकारों से वंचित न हो बच्चा

कोर्ट ने यह भी कहा कि भले ही लड़की गर्भधारण करने और बच्चे को गोद देने का निर्णय लेती है, लेकिन राज्य सरकार को सुनिश्चित करना है कि यह काम निजी तौर पर किया जाए। सरकार सुनिश्चित करे कि बच्चा इस देश का नागरिक होने के नाते संविधान के मौलिक अधिकारों से वंचित न हो इसलिए यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि गोद लेने की प्रक्रिया भी सही तरीके से अपनाई जाए और बच्चे के सर्वोत्तम हित के सिद्धांत का पालन किया जाए।

जोखिम के चलते पीड़िता ने नहीं कराया गर्भपात

डॉक्टरों की तीन टीमों ने पीड़िता की जांच की। फिर सीएमओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि गर्भ जारी रहने से लड़की की शारीरिक और मानसिक सेहत पर असर पड़ेगा, लेकिन इस स्तर पर गर्भपात से लड़की को खतरा होगा।
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कोर्ट को बताया गया कि जोखिम के बावजूद पीड़िता के अभिभावक गर्भ समाप्त करने के लिए सहमति दे रहे थे। कोर्ट ने पीड़िता और उसके रिश्तेदारों को गर्भ धारण के 32 सप्ताह में गर्भपात से जुड़े जोखिमों के बारे में बताया। आखिर में लड़की और उसके रिश्तेदार गर्भ रखने के लिए तैयार हो गए।

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