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यूपी उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा 2020 में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाने क्यों की खारिज

हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कहा कि एक बार विज्ञापन निकल जाने के बाद, अधिकारियों के लिए कोई नया खंड शामिल करना उचित नहीं होगा, जस्टिस डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस अजय त्यागी की पीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के 103 वें संशोधन के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों को 10% आरक्षण प्रदान किया जाता है।

प्रयागराजApr 02, 2022 / 10:11 am

Sumit Yadav

यूपी उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा 2020 में 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण की मांग वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाने क्यों की खारिज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्च न्यायिक सेवा परीक्षा 2020 में 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग वाले याचिका की सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा, 2020 के लिए सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को ईडब्ल्यूएस के रूप में 10% आरक्षण का लाभ प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट प्रशासन को निर्देश देने की मांग वाली दो याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए कहा कि एक बार विज्ञापन निकल जाने के बाद, अधिकारियों के लिए कोई नया खंड शामिल करना उचित नहीं होगा, जस्टिस डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और जस्टिस अजय त्यागी की पीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया।
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कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के 103 वें संशोधन के अनुसार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के उम्मीदवारों को 10% आरक्षण प्रदान किया जाता है। बेंच ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट प्रशासन अपनी सेवाओं के मामलों में स्वायत्तता है और योग्यता मानकों को निर्धारित कर सकता है और आरक्षण योजना पर निर्णय ले सकता है। कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य विधायिका को आरक्षण की एक वैधानिक योजना बनाने की अनुमति नहीं है, जो न्यायिक सेवा को नियंत्रित करेगी।
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कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने विवेक में शैक्षणिक वर्ष 2020 के लिए उक्त नियमों को नहीं अपनाया था, इसलिए ईडब्ल्यूएस कोटा का लाभ प्रदान करने के लिए हाईकोर्ट प्रशासन को कोई परमादेश जारी नहीं किया जा सकता है। संक्षेप में मामला मामले में याचिकाकर्ता संदीप मित्तल एक प्रैक्टिसिंग वकील हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा, 2020 में सीधी भर्ती के उद्देश्य से हाईकोर्ट प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

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