प्रयागराज

Allahabad High Court: जौनपुर डीएम मनीष कुमार वर्मा आदेश का पालन करें या हाजिर हों, 4 अप्रैल को होगी सुनवाई

कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी हाईकोर्ट की अपीलीय प्राधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या करने का उन्हें अधिकार नहीं है। न ही वे अपने जवाबी हलफनामे के विपरीत स्टैंड ले सकते हैं। कोर्ट आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल नहीं की गई। आदेश अंतिम हो गया।जिसकी अवहेलना कोर्ट की अवमानना करना है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने चंद्र मणि की अवमानना याचिका पर दिया है।

प्रयागराजMar 05, 2022 / 10:05 am

Sumit Yadav

Allahabad High Court: जौनपुर डीएम मनीष कुमार वर्मा आदेश का पालन करें या हाजिर हों, 4 अप्रैल को होगी सुनवाई

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर मनीष कुमार वर्मा को 15 दिन में आदेश पालन का अंतिम अवसर दिया है और कहा है कि आदेश का पालन करें या 4अप्रैल को हाजिर हो। कोर्ट ने कहा कि जिलाधिकारी हाईकोर्ट की अपीलीय प्राधिकारी नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश की व्याख्या करने का उन्हें अधिकार नहीं है। न ही वे अपने जवाबी हलफनामे के विपरीत स्टैंड ले सकते हैं। कोर्ट आदेश के खिलाफ विशेष अपील दाखिल नहीं की गई। आदेश अंतिम हो गया।जिसकी अवहेलना कोर्ट की अवमानना करना है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने चंद्र मणि की अवमानना याचिका पर दिया है।याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की।
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हाईकोर्ट ने कहा था कि सरकारी विभाग किसी से दैनिक या तय वेतन पर दशकों तक काम नही ले सकता। ऐसे कर्मी विनियमितीकरण के हकदार हैं। कोर्ट ने नियमित करने से इंकार के आदेश को रद करते हुए सेवा नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया था। जिसका पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर की गई है। याची जिला विकास कार्यालय जौनपुर में 1992 से इलेक्ट्रीशियन के रूप में कार्यरत है। नियमित वेतन भुगतान किया जा रहा है। सेवा के 29 साल बाद सेवा नियमित करने की मांग की, जो 22 मार्च 2018 को अस्वीकार कर दी गयी, जिसे चुनौती दी गई । जिस पर कोर्ट ने याची को नियमित करने का आदेश दिया है।
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अब जिलाधिकारी ने अनुपालन हलफनामा दाखिल कर कहा कि राम अंजोर कलेक्ट्रेट में कार्यरत था।उसे राजस्व विभाग के मजदूरी बजट से वेतन दिया जाता था।उसे नियमित कर लिया गया है।याची को विकास भवन के कंटिंजेंसी फंड से वेतन दिया जाता था।वह नियमित किये जाने का हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा आदेश से पहले जवाबी हलफनामे में यह बात नहीं कही थी।अब बहाना लेने का अधिकार नहीं है।आदेश का पालन करें या हाजिर होने का कोर्ट ने निर्देश दिया है।

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