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मनकामेश्वर मंदिर के परिसर में ऋण मुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव का अद्भुत शिवलिंग स्थापित है।यहां हनुमान जी महाराज दक्षिणमुखी होकर विराजमान है। सावन के पवित्र माह में यहां हर दिन हजारों श्रद्धालुओं का ताता होता है। विशेषकर सोमवार प्रदोष और भगवान शिव पार्वती की आराधना वाले विशेष दिनों पर यहां भारी भीड़ उमड़ती है। मनकामेश्वर मंदिर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की देखरेख में अपने कार्यक्रम करता है। मंदिर के व्यवस्थापक धनानंद ब्रह्मचारी कहते हैं कि भगवान शिव ने काम को भस्म करके स्वयं यहां पर स्थापित हुए स्कंद पुराण और पदम पुराण में कामेश्वर पीठ जिक्र होता है,यह वही कामेश्वर धाम है । उन्होंने बताया कि त्रेता में जब भगवान राम को वनवास मिला तो अयोध्या से भगवान राम माता जानकी और लखन लाल के साथ अक्षयवट के नीचे विश्राम किया । यहां से प्रस्थान से पहले उन्होंने यहीं पर साधना और अभिषेक कर भगवान शिव से मार्ग में आने वाले तमाम संकटों से मुक्ति पाने की कामना की थी।
वहीं मंदिर में परिसर में ऋण मुक्तेश्वर भगवान शिव स्थापित है। पदम पुराण में ऋण मुक्तेश्वर शिव के यहां पर स्थापित होने का व्याख्यान है।उन्होंने बताया कि 51 सोमवार मनकामेश्वर और ऋण मुक्तेश्वर महादेव के दर्शन करने से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मंदिर के महंत बताते हैं कि ऐसा कई बार हुआ है, जब मंदिर परिसर में कोई नहीं रहा है वातावरण बिल्कुल शांत रहा है।उसके बावजूद भी भगवान शिव के जयकारे सुने गए हैं। उन्होंने कहा कि जब मनकामेश्वर भगवान की आरती के बाद सयन की अवस्था में होते हैं ।यहां आस.पास के दिव्य शक्तियां पहरा देती है। यह एक अद्भुत पीठ है यहां आने पर इसको महसूस किया जा सकता है।