मामले में याची की ओर से तर्क दिया गया वर्ष 2019 में मदरसे में प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्त किया गया था। उसने नियुक्ति से पहले गोंडा के दारुल उलूम अहले सुन्नत मदरसे में सहायक अध्यापक के रूप में पांच वर्ष अध्यापन कार्य किया था। जिसके अनुभव के आधार पर उसे प्रधानाचार्य के पद पर नियुक्ति दी गई थी।
डेढ़ साल पहले उसके खिलाफ की गई एक शिकायत के आधार पर जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी द्वारा उसके अनुभव प्रमाण पत्र की जांच भी की गई थी। जिसमें आरोप निराधार साबित हुए। इसके बाद तत्कालीन विधायक संजय प्रताप जायसवाल व तत्कालीन श्रम एवं रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र के आधार पर शासन के विशेष सचिव ने उसके अनुमोदन को रद्द कर दिया था।
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