ऑक्सीजन न मिलने से मौत सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पिछले दिनों ऑक्सीजन न मिलने से मेरठ में पांच मरीजों ने दम तोड़ दिया। लखनऊ के गोमती नगर में सन हॉस्पिटल और एक अन्य निजी अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होने से डॉक्टरों के कोविड मरीजों से अपनी व्यवस्था खुद करने की खबरें भी वायरल हुई हैं। अवैध रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई हो रही है। ब्लैक में रेमडेसिविर इंजेक्शन/गोलियां बिक रही हैं। ऑक्सीमीटर को मालखाने में रखा गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इन वस्तुओं को मालखाने में रखना किसी भी तरह से जनहित में नहीं है क्योंकि ये सभी खराब हो जाएंगे।
राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यायमूर्ति की इलाज को लेकर जांच 23 अप्रैल की सुबह न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव को लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह कोरोना वायरस से पीड़ित थे। भर्ती करने के बाद देर शाम तक उनकी देखभाल नहीं की गई थी। 23 अप्रैल की शाम 7:30 बजे हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया और उसी रात उन्हें एसजीपीजीआई में ले जाया गया जहां वह पांच दिन आईसीयू में रहे और उनकी असामयिक मृत्यु हो गई। अदालत ने अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से कहा है कि वह हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल में न्यायमूर्ति श्रीवास्तव का क्या इलाज हुआ और उन्हें 23 अप्रैल को ही एसजीपीजीआई क्यों नहीं ले जाया गया?